700 साल से नहीं हिली यहां की धरती, वैज्ञानिकों ने जताई बड़े भूकम्प की आशंका

बड़े भूकम्पनई दिल्‍ली : पूरे उत्‍तर भारत में बुधवार रात 8:49 बजे धरती कांप उठी थी। भूंकम्प में झटकों का केंद्र उत्‍तराखंड के रुद्रप्रयाग के पास कालीमठ में था, लेकिन इसके झटके दिल्ली, एनसीआर, मेरठ, आगरा, सहारनपुर सहित यूपी के अधिकांश हिस्सों में महसूस किए गए। अब वैज्ञानिकों ने बड़े भूकम्प के आने की आशंका जताई है।

इसकी तीव्रता रिक्‍टर पैमाने पर 5.5 थी और इसका केंद्र रुद्रप्रयाग में जमीन से 30 किलोमीटर की गहराई में था। वैज्ञानिकों का कहना है, यदि इतनी ही तीव्रता का भूकंप 10 किमी की गहराई में आता तो यह देहरादून समेत कई जिलों को अपनी चपेट में ले लेता। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग, चमोली, अल्‍मोड़ा और पौड़ी गढ़वाल में भूकंप के काफी तेज झटके महसूस किए गए।

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बीती राज आए भूकम्प के झटकों के बाद वैज्ञानिकों ने गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में आगामी दिनों में बड़े भूकंप की आशंका भी जताई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस क्षेत्र में रिक्‍टर पैमाने पर 8 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है, जिससे व्‍यापक तबाही मच सकती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस क्षेत्र में 700 सालों से बड़ा भूकंप नहीं आया है, इसलिए क्षेत्र में बड़े भूकंप के आने की तीव्र आशंका है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि यदि देहरादून में पांच तीव्रता का भूकंप भी 10 किलोमीटर की गहराई में आया तो जान-माल का काफी नुकसान होगा। रात के समय भूकंप आने से जानमाल के और अधिक नुकसान की आशंका है।

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यह आशंका नॉर्वेजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट नोरसार, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जूयोलॉजी देहरादून और आईआईटइी रुड़की के वैज्ञानिकों के संयुक्त अध्ययन में जताई गई है, जिसके नतीजे बीते दिनों देहरादून में भूंकप से निपटने की तैयारियों को लेकर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में जारी किए गए।

उत्तराखंड ‘हाई सिस्मिक जोन’ में

हिमालय क्षेत्र का हिस्सा उत्तराखंड ‘हाई सिस्मिक जोन’ में आता है, लिहाजा यहां बड़े भूकम्प की आशंका बनी रहती है। देहरादून के वाडिया हिमालयन इंस्टीट्यूट ने हाल ही में उत्तराखंड क्षेत्र में हल्के भूंकप के आने की आशंका जताई थी।

बुधवार रात करीब 8:49 बजे आए भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के पास कालीमठ था, जिसके झटके देश की राजधानी दिल्‍ली और एनसीआर के क्षेत्रों में भी महसूस किए गए। इसके कारण अचानक घरों में रखा सामान, पंखे और बर्तन हिलने लगे। लगातार महसूस किए गए भूकंप के इन झटकों से बचने के लिए लोग घरों से बाहर आ गए।

भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों को विभिन्‍न जोन में बांटा गया है। जोन 5 में हिमालय, गुवाहटी और श्रीनगर जैसे क्षेत्र आते हैं, जबकि जोन 4 में देहरादून, दिल्ली, जमुनानगर, पटना, मेरठ, जम्मू, अमृतसर और जालंधर आते हैं।

वहीं, जोन 3 में अहमदाबाद, बड़ोदरा, राजकोट, सूरत, मुंबई, आगरा, विभाड़ी, नासिक, कानपुर, पुणे, भुवनेश्वर, कटक, आसनसोल, कोच्चि, कोलकाता, वाराणसी, बरेली, लखनऊ, इंदौर, जबलपुर, विजयवाड़ा, धनबाद, चेन्नई, कोयंबटूर, मैंगलोर, कोजीकोढ, त्रिवेन्द्रम आते हैं।

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