जैन धर्म के अंतिम तीर्थांकर थे महावीर, जानें कुछ अनमोल विचार

महावीर जयंती जैन समुदाय का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। महावीर को जैन धर्म का 24वां और अंतिम तीर्थांकर माना जाता है, जिन्होंने इस धर्म के प्रमुख सिद्धांतों का प्रतिपादन करने के साथ ही उन्हें व्यवस्थित रूप दिया। इनके दर्शन के पांच प्रमुख सिद्धान्त हैं– अहिंसा, सत्य, असत्येय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। इनमें अहिंसा का स्थान सर्वोपरि है।

महावीर जयंती

महावीर जयंती को कई जगह महावीर स्‍वामी जन्‍म कल्‍याणक भी कहा जाता है। हिन्दु पंचांग की मानें तो चैत्र मास के 13वें दिन भगवान महावीर ने जन्‍म लिया था।

यह भी पढ़ें : गुरुवार को करें ये काम, पूरी होगी वो मनोकामना जिसकी होती है सबसे ज्यादा चाहत  

जैन मान्‍यताओं के अनुसार उनका जन्‍म बिहार के कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था। भगवान महावीर का बचपन का नाम ‘वर्धमान’ था। ऐसा कहा जाता है कि इन्होंने 30 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और दीक्षा लेने के बाद 12 साल तपस्या की।

जैन धर्म में दो संप्रदाय हैं दिगंबर और श्वेतांबर, लेकिन जहां तक महावीर की मूल शिक्षाओं का सवाल है, दोनों समान रूप से उन्हें मानते हैं। भारत में जैन धर्म को मानने वाले लोगों की अच्छी-खासी संख्या है। जैन धर्म और इसके बाद आने वाले बौद्ध धर्म को लेकर यह एक अंतर है कि जहां जैन धर्म का प्रसार देश के अंदर हुआ, बौद्ध धर्म देश के बाहर भी फला-फूला।

पर दोनों धर्म वैदिक धर्म से अलग भाव-भूमि और विचारों को लेकर विकसित हुए। इनमें जन्म से व्यक्ति और व्यक्ति के बीच के अंतर को नहीं स्वीकार किया गया और सबको समान माना गया। यही कारण है कि व्यापक जन समुदाय को इसने आकर्षित किया।

यह भी पढ़ें : अगर आपके विचार भी नहीं छिपते तो ये कहानी आप ही के लिए है

भगवान महावीर की जयंती पर जानते हैं उनके कुछ अनमोल विचार

  1. मनुष्य के दुखी होने की वजह खुद की गलतिया ही है जो मनुष्य अपनी गलतियों अपर काबू पा सकता है वही मनुष्य सच्चे सुख की प्राप्ति भी कर सकता है।
  2. आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ। और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भूल जाओ।
  3. आपात स्थिति में मन को डगमगाना नहीं चाहिये।
  4. आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
  5. खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
LIVE TV