लखनऊ: हृदय की धमनी में जमे कैल्शियम का हुआ सफल इलाज, जाने कैसे PGI के डॉक्टरो ने किया कमाल

(कोमल)

राजधानी लखनऊ (Lucknow) के संजय गांधी पीजीआई (PGI) के कार्डियोलॉजी विभाग ने पिछले सप्ताह रेडियल रूट द्वारा रोटाप्रो प्रणाली का उपयोग करते हुए रोटेब्लेशन के पहले मामले का प्रदर्शन करके अपनी उपलब्धियो में एक और कीर्तिमान जोड़ा है । रोटेब्लेशन coronary artery disease के इलाज की एक अति विशिष्ट तकनीक है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के हृदय की धमनियों में कैल्शियम का व्यापक जमाव होता है. इसमें फ्लोरोस्कोप की सहायता से हृदय वाहिकाओं के अंदर कैथेटर की तरह का एक छोटी घूमती हुई ड्रिल को डाला जाता है ।

कैथेटर तब कैल्शियम को काटता है और इस प्रकार कोरोनरी स्टेंट को आसानी से अंदर डाला जाता है और पर्याप्त रूप से इसे बढाया जाता है. यह प्रक्रिया मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित एक मध्यम आयु वर्ग की महिला पर की गई थी, जिसे पिछले 6 महीनों से सीने में दर्द था. उसकी कोरोनरी एंजियोग्राफी से स्पष्ट हुआ कि उसकी हृदय की प्रमुख धमनी (left anterior decending artery LAD, ) में सघन रूप से कैल्शियम जमा था. कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आदित्य कपूर ने प्रक्रिया के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में, धमनी में जमा प्लाक अत्यंत कठोर हो जाता है और एक साधारण एंजियोप्लास्टी गुब्बारा धमनी को पूरी तरह से नहीं खोल सकता है. इसलिए rotablaion का उपयोग करके इस मामले को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने का निर्णय लिया गया था।

प्रो सत्येंद्र तिवारी ने कहा कि रोटाप्रो प्रणाली जिसमें सभी अंतर्निहित नियंत्रण हैं, अब सीधे एक डिजिटल कंसोल पर ऑपरेटरों के हाथों में है (पुराने सिस्टम के विपरीत जिसमें पैर संचालित नियंत्रण पैनल थे), प्रक्रिया को अधिक उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाता है. इस मामले में, सफल प्रक्रिया के एक दिन बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई. संस्थान के निदेशक प्रो आरके धीमन ने कार्डियोलाजी की पूरी टीम को इस उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई दी है।

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