
लद्दाख के प्रमुख जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. आंगमो ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कॉर्पस याचिका दायर कर उनके पति की तत्काल रिहाई की मांग की है। वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था, और उन्हें राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।
यह गिरफ्तारी लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसक झड़पों के बाद हुई, जिसमें चार नागरिकों की मौत और 80 से अधिक लोगों के घायल होने की घटना शामिल है। आंगमो ने गिरफ्तारी को अवैध बताया और NSA के दुरुपयोग पर सवाल उठाए।
याचिका में क्या आरोप लगाए गए?
गीतांजलि ने वकील सर्वम रितम खरे के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि वांगचुक पर लगाए गए आरोप झूठे हैं, जिसमें पाकिस्तान से कथित संबंध शामिल हैं। उन्होंने NSA की धारा 3 के तहत निवारक हिरासत को चुनौती दी, क्योंकि उन्हें अब तक हिरासत आदेश की प्रति नहीं दी गई, जो कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। आंगमो ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया, “यह एक सप्ताह हो गया। मुझे अभी भी सोनम वांगचुक की सेहत, उनकी स्थिति या हिरासत के आधारों की कोई जानकारी नहीं मिली।” उन्होंने इसे “विच-हंट” (डायन शिकार) करार दिया, जो लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा करने वाले उनके पति को बदनाम करने की साजिश है।
याचिका में अनुच्छेद 32 के तहत तत्काल रिहाई की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला दशहरा अवकाश के बाद 6 अक्टूबर को सुनवाई के लिए संभावित है। आंगमो ने कहा कि वांगचुक का आंदोलन लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग पर केंद्रित था, जो पर्यावरणीय संरक्षण और स्थानीय अधिकारों से जुड़ा है। उन्होंने सवाल उठाया कि “लद्दाख जैसे पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्र में लापरवाह विकास के खिलाफ लड़ना पाप है क्या?”
राष्ट्रपति मुर्मू को पत्र: “विच-हंट” का आरोप
बुधवार को आंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को तीन पृष्ठों का पत्र लिखा, जिसमें वांगचुक की बिना शर्त रिहाई की मांग की। उन्होंने कहा, “वांगचुक कभी किसी के लिए खतरा नहीं हो सकते, खासकर अपने राष्ट्र के लिए। उन्होंने लद्दाख के बहादुर सपूतों की सेवा के लिए जीवन समर्पित किया है और भारतीय सेना के साथ एकजुट खड़े हैं।” पत्र लेह के डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से भेजा गया। आंगमो, जो हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग (HIAL) की संस्थापक और सीईओ हैं, ने बताया कि उन्हें CRPF की निगरानी में रखा गया है। विशेष जांच टीम ने HIAL के छात्रों और स्टाफ की जानकारी मांगी है, और संस्थान के दो सदस्यों को तीन दिन पहले हिरासत में लिया गया।
लेह हिंसा का पृष्ठभूमि: राज्य और छठी अनुसूची की मांग
24 सितंबर को लेह में प्रदर्शन हिंसक हो गया, जब लद्दाख एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के नेतृत्व में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय में आग लगा दी। पुलिस फायरिंग में चार मौतें हुईं और 140 घायल हुए। वांगचुक, जो 10 सितंबर से 35 दिनों की भूख हड़ताल पर थे, ने हिंसा से दूरी बनाए रखी और एम्बुलेंस से भागे, लेकिन दो दिन बाद NSA के तहत गिरफ्तार कर लिए गए। केंद्र सरकार ने उन्हें हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया, जिसमें नेपाल आंदोलन और अरब स्प्रिंग का जिक्र शामिल था।
सिविल सोसाइटी और राजनीतिक प्रतिक्रिया
लेबर एसोसिएशन, LAB और KDA ने वांगचुक की रिहाई और हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है। कांग्रेस ने गिरफ्तारी की निंदा की, जबकि सिविल सोसाइटी ग्रुप्स जैसे प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने समर्थन जताया। लेह बार एसोसिएशन ने कहा कि 40 से अधिक निर्दोषों को गिरफ्तार किया गया। लेह में कर्फ्यू जारी है, और इंटरनेट निलंबित है। आंगमो ने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, कानून मंत्री, लद्दाख के एलजी और लेह डीसी को भी पत्र लिखा।
यह मामला लद्दाख की राजनीतिक मांगों और NSA के दुरुपयोग पर राष्ट्रीय बहस छेड़ सकता है। वांगचुक, रेमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता, लद्दाख के पर्यावरण और शिक्षा सुधार के लिए जाने जाते हैं।