BirthdaySpecial: थप्पड़ से लगेगा डर, जब जानेंगे ललिता पवार का सच  

मुंबई : बॉलीवुड में आने वाले हर शख्स का यही सपना होता है कि वह इंडस्ट्री में बेहतर काम और नाम के लिए जाना जाए. वह फिल्मों में लीड एक्टर और एक्ट्रेस के लिए मशहूर हो जाएं. लेकिन कभी-कभी एक हादसा किसी की लाइफ को बदल सकता है. सलमान खान की फिल्म दबंग का डायलॉग तो याद होगा थप्पड़ से डर नहीं लगता…प्यार से लगता है. लेकिन इस एक्ट्रेस की स्टोरी जानने के बाद थप्पड़ से तो डर जरुर लगेगा, प्यारा का पता नहीं. आज ललिता पवार का जन्मदिन है.

ललिता 18 अप्रैल 1916 को जन्मी थीं.

60 साल से ज़्यादा लंबे करियर में हिंदी, मराठी और गुजराती में ललिता ने 700 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया.

 

बॉलीवुड

गुजरे जमाने की एक्ट्रेस के साथ ऐसा ही एक हादसा हुआ था, जिसके बाद से उनकी जिंदगी बदल गई और वह लीड एक्ट्रेस से वैम्प या विलेन बनकर रह गईं. यह एक्ट्रेस ललिता पवार थीं, जिन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत में लीड एक्ट्रेस का रोल किया और बाद में विलेन के किरदार करने लगीं.

ललिता ने चाइल्ड आर्टिस्ट भी काम किया है. बचपन से टॉप एक्ट्रेस बनने का सपना देख रही ललिता का सपना तब चकनाचूर हो गया. जब एक्टर भगवान दादा ने उन्हें एक जोरदार तमाचा जड़ दिया. इस तमाचे की गूंज इतनी भयानक की थी उनका करियर ही डगमगा गया. एक्टिंग के साथ एक्ट्रेस के लिए खूबसूरत चेहरा भी बहुत जरूरी है. इस थप्पड़ के निशान मरते दम तक उनके चेहरे पर थे.

साल 1942 में ललिता फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ के एक सीन की शूटिंग कर रही थीं. इससे पहले भी वह कई फिल्मों में हीरोइन बनकर आ चुकी थीं. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ललिता को फिल्म के हीरो भगवान दादा को उन्हें एक थप्प्ड़ मारना था. भगवान दादा ने उन्हें इतनी ज़ोर का थप्पड़ मारा कि ललिता जमीन पर गिर गईं और उनके कान से खून निकलने लगा. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन दवाइयां का साइड इफेक्ट हो गया और ललिता के राइट हैंड साइड को लकवा मार गया. इसमें ललिता का चेहरा और आंख पूरी तरह से बिगड़ गई. लगभग चार साल तक उनका इलाज चलता रहा, लेकिन वो ठीक नहीं हुआ.

इस हादसे के बाद वह फिर से फिल्मों में नेगेटिव रोल में नजर आईं. लेकिन ललिता ने हार नहीं मानी और अपने अभिनय को नई उड़ान दी.

1990 में ललिता पवार को जबड़े का कैंसर हुआ, जिसके बाद वो अपने इलाज के लिए पुणे गईं. कैंसर की वजह से न सिर्फ उनका वजन कम हो गया, बल्कि उनकी याददाश्त भी कमजोर होने लगी. 24 फरवरी 1998 को ललिता पवार का निधन हो गया.आज भी वह लोगों के दिलों में जिंदा है.

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