अपनी ही पिच पर क्लीन बोल्ड हुए केजरीवाल! मिशन 2019 पर एक कदम आगे हुई भाजपा

नई दिल्ली। साल 2018 केंद्र की सत्ता का आख़िरी पड़ाव है, जिसे भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में फिर हासिल करने की पूरी जद्दोजहद कर रही है। इसके साथ ही अन्य विपक्षी दल भी इसी दिशा में अपने कदम मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं। खैर मौजूदा समय में सभी पार्टियां राज्यसभा में अपने ज्यादा से ज्यादा प्यादे बिठाने की जुगत बना रही हैं। बात अगर हरियाणा की करी जाए तो केजरीवाल चूंकी यहीं से ताल्लुक रखते हैं तो यहां अपनी दावेदारी प्रबल करने का वे भरसक प्रयास कर रहे हैं। वहीं रेस में कांग्रेस और अन्य दल भी राज्यसभा में अपनी जगह बनाने के लिए जुटे हुए हैं।

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केंद्र की सत्ता

हालांकि भाजपा के एक दांव से सभी चाल फीकी होती दिखाई दे रही है। खासकर केजरीवाल का गढ़ होने की वजह से भाजपा का ये दांव आम आदमी पार्टी के अथक प्रयासों पर पानी फेरता जान पड़ रहा है।

खबरों के मुताबिक़ रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डी पी वत्स को हरियाणा से राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बना कर बीजेपी ने एक तीर से कई शिकार किए हैं।

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बता दें सोमवार को सीएम मनोहरलाल खट्टर और राज्य बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला सहित राज्य के कई मंत्रियों की मौजूदगी में डी पी वत्स ने राज्यसभा के लिए बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर अपना पर्चा भरा।

वत्स के जरिए पार्टी प्रदेश में ब्राह्मण और फौजी वोटर्स अपने साथ जोड़े रखने में कामयाब हो पाएगी। इससे बड़ी बात यह होगी कि हरियाणा में अपना जनाधार बढ़ाने में जुटे अरविंद केजरीवाल की सियासी पिच पर इस कदम ने पानी डाल दिया है।

वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जींद रैली के बाद अरविंद केजरीवाल आगामी 25 मार्च को हिसार से हरियाणा में मिशन 2019 की शुरुआत कर रहे हैं।

हरियाणा में जाट और गैर जाट के बीच चल रही राजनीति में यह चर्चा आम है कि केजरीवाल के यहां बनिया और ब्राह्मण समुदाय के वोटरों को ज्यादा से ज्यादा अपनी तरफ लाने की कोशिश करेंगे।

यही वजह है कि दिल्ली के सीएम ने हरियाणा में पार्टी का परचम बुलंद करने वाले ब्राह्मण समुदाय के नवीन जयहिंद को आगे बढ़ाया।

खुद मूल रूप से अरविंद केजरीवाल हिसार से ही हैं। अपनी मौजूदगी से वह अपने समुदाय यानी बनिया जाति के वोटरों को आम आदमी पार्टी के पक्ष में लगे हुए थे। लेकिन बीजेपी के इस नए दांव से केजरीवाल और जयहिंद की मेहनत बढ़ जाएगी।

डीपी वत्स का हिसार से ताल्लुक रखना बीजेपी के हक में जाएगा। गैर जाट वोटों में जातिगत पकड़ मजबूत करने की चुनौती नए प्लेयर केजरीवाल से जयादा पुराने कांग्रेस और इंडियन नैशनल लोकदल के लिए होगी।

बता दें ऐसे में वत्स का चुना जाना करीब-करीब तय माना जा रहा है। इस कारण सभी विपक्षी दलों को यहां मुंह की खानी पड़ सकती है। वत्स हिसार से ही हैं और इससे पहले यहीं से बीजेपी सुभाष चंद्रा को भी राज्यसभा भेज चुकी है।

इसके साथ ही कांग्रेस और इनेलो को भी अपने पारंपरिक गढ़ हिसार में अब ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

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