250 साल बाद काशी को मिली नई पहचान, इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ काशी विश्वनाथ धाम
प्रधानमंत्री मोदी आज बनारस में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की खास बातें क्या हैं? इस बारे में हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं। काशी विश्वनाथ धाम करीब 5 लाख स्कवॉयर फीट में बना हुआ है। पहले श्रद्धालुओं को काशी में गलियों और तंग संकरे रास्तों से गुजरना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। यह कॉरिडोर बनने के बाद गंगा घाट से सीधे कॉरिडोर के रास्ते बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए जा सकेगें। इसकी कुल लगात 900 करोड़ रुपए है। काशी को दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। मान्यता है भगवान विश्वनाथ यहां ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में निवास करते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है।
करीब सवा 5 लाख स्क्वायर फीट में बना काशी विश्वनाथ धाम बनकर पूरी तरह तैयार हो चुका है। इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं। इस पूरे कॉरिडोर को लगभग 50,000 वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है। इस कॉरिडोर को 3 भागों में बांटा गया है। इसमें 4 बड़े-बड़े गेट और प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं जिसमें काशी की महिमा का वर्णन है।
इसके अलावा इस कॉरिडोर में मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी जैसी सुख-सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में अगर गोदौलिया वाले गेट से कोई एंट्री करेगा तो यूटिलिटी भवन, सिक्योरिटी ऑफिस मिलेगा। इसके अलावा यात्री सुविधा केंद्र नंबर 1 और 2 सरस्वती फाटक की तरफ हैं। इसमें चुनार के गुलाबी पत्थर, मकराना के सफेद मार्बल और वियतनाम के खास पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। 250 साल के बाद मंदिर का पहली बार जीर्णोद्धार हुआ है। इस कॉरिडोर के बनने के बाद श्रद्धालु 50 फीट की सड़क से गंगा किनारे से बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे। काशी विश्वनाथ धाम में महादेव के प्रिय पौधे रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, वट और अशोक लगाए जाएंगे। बाबा विश्वनाथ मंदिर के लिए प्रसाद तैयार हो रहा है, जो 8 लाख से ज्यादा परिवारों में वितरित होगा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस प्रोजेक्ट का शिलांन्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को किया था। एक अध्यादेश के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर पर क्षेत्र को विशिष्ट क्षेत्र घोषित किया था। जिसके बाद आसपास के कई भवनों को अधिग्रहित किया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर का 1780 में जीर्णोद्धार महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने किया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में मंदिर के शिखर सहित अन्य स्थानों पर सोना लगवाया था।
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