कलयुग को भी मिला श्रवण कुमार, बेटे नहीं पोते के रूप में लिया जन्म

रिपोर्ट- विजय मुंडे

मुजफ्फरनगर। सतयुग के श्रवण कुमार की कहानी किताबो से आज की पीढ़ी को ज्ञान बांट रही है। कौन सोच सकता है कि सतयुग के श्रवण कुमार को जैसा इस कलयुग में भी श्रवण कुमार हो सकता है कभी आपने भी नही सोचा होगा कि सतयुग के श्रवण कुमार  जैसा पौता भी कलयुग में पैदा हो सकता है जो अपने दादा – दादी की इच्छा पूरी करने के लिए दोनो को टोकरी में बैठाकर हरिद्वार से  गंगाजल लेकर आया  है।

श्रवण कुमार

शिव भक्त राहुल के अँधे दादा-दादी  की इच्छा थी कि वह भी हरिद्वार की यात्रा कर पवित्र गंगा जल लेकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करे। अपने दादा-दादी की इच्छा पूरी करने के लिए श्रवण बना पोता अपने दादा और दादी दोनो को टोकरी में बैठाकर उनकी मनोकमना पूरी करने में लगा है।

दरअसल मेरठ के गांव जंघेडी निवासी नेत्रहीन 92 वर्षीय छोटेलाल ने अपने पौते राहुल से अपनी वृद्ध पत्नी कश्मीरी के साथ हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लाने की इच्छा जताई थी। श्रवण बना पौता राहुल अपनी दादी व दादा की इच्छा पूरी करने के लिए  अपने मामा सोहनवीर और अकिंत को साथ लेकर हरिद्वार से पवित्र गंगा जल लेकर दोनो को टोकरी  में बैठाकर चला है।

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शिवभक्त राहुल ने बताया कि वो अपने दादा व दादी की इच्छा पूरी करने को लेकर हरिद्वार से गंगा जल लेकर 22 जुलाई को चला था और वह मेरठ के ओघड़नाथ मंदिर में दादा-दादी के साथ जल चढाएगा। राहुल का सपना दादा और दादी की इच्छा पूरी करना है।

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