जानिए… क्यों एक बालिका के आगे विद्वान कालिदास को होना पड़ा नतमस्तक

महान् विद्वान कालिदासमहान् विद्वान कालिदास को कौन नहीं जानता कहते है। उनके कंठ में स्वय ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का वास था। भले ही वे बहुत बड़े ज्ञानी थे लेकिन घमंड की चपेट में हर कोई आ जाता है। एक बार कालिदास को भी अपने ज्ञान पर घमंड आ गया था। उन्हें लगने लगा था कि वे ही दुनिया के सबसे बड़े ज्ञानी है, उनके पास सारी दुनिया का ज्ञान है। अब और सिखने को कुछ नहीं बचा कालिदास के इसी घमंड के कारण उन्हें एक बालिका के सामने झुकना पड़ा।

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आइये जानते है इसकी क्या कथा है-

एक बार पड़ोसी राज्य से शास्त्रार्थ का निमंत्रण पाकर कालिदास विक्रमादित्य से अनुमति लेकर अपने घोड़े पर रवाना हुए। गर्मी का मौसम था। धूप काफी तेज और लगातार यात्रा से कालिदास को प्यास लग आई। थोड़ी तलाश करने पर उन्हें एक टूटी झोपड़ी दिखाई दी।

पानी की आशा में वह उस ओर बढ़ चले। झोपड़ी के सामने एक कुआं भी था। कालिदास ने सोचा कि कोई झोपड़ी में हो तो उससे पानी देने का अनुरोध किया जाए। उसी समय झोपड़ी से एक छोटी बच्ची मटका लेकर निकली। बच्ची ने कुएं से पानी भरा और वहां से जाने लगी।

कालिदास उसके पास जाकर बोले- बालिके! बहुत प्यास लगी है, जरा पानी पिला दे। बच्ची ने पूछा- आप कौन हैं? मैं आपको जानती भी नहीं, पहले अपना परिचय दीजिए। कालिदास को लगा कि मुझे कौन नहीं जानता भला, मुझे परिचय देने की क्या आवश्यकता ? फिर भी प्यास से बेहाल थे तो बोले- बालिके अभी तुम छोटी हो। इसलिए मुझे नहीं जानती। घर में कोई बड़ा हो तो उसको भेजो। वह मुझे देखते ही पहचान लेगा।

मेरा बहुत नाम और सम्मान है दूर-दूर तक। मैं बहुत विद्वान व्यक्ति हूं। कालिदास के बड़बोलेपन और घमंड भरे वचनों से अप्रभावित बालिका बोली- आप असत्य कह रहे हैं। संसार में सिर्फ दो ही बलवान हैं और उन दोनों को मैं जानती हूं। अपनी प्यास बुझाना चाहते हैं तो उन दोनों का नाम बताएं? थोड़ा सोचकर कालिदास बोले- मुझे नहीं पता, तुम ही बता दो मगर मुझे पानी पिला दो। मेरा गला सूख रहा है।

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बालिका बोली- दो बलवान हैं ‘अन्न’ और ‘जल’। भूख और प्यास में इतनी शक्ति है कि बड़े से बड़े बलवान को भी झुका दें। देखिए प्यास ने आपकी क्या हालत बना दी है। कालिदास चकित रह गए। लड़की का तर्क अकाट्य था। बड़े-बड़े विद्वानों को पराजित कर चुके कालिदास एक बच्ची के सामने निरुत्तर खड़े थे।

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