इस मंदिर के करिश्माई हैं चमत्कार… फेल हो गए वैज्ञानिक, धरे रह गए आविष्कार

महालक्ष्मी मंदिरपुणे : कल से नवरात्र शुरू हो रहे हैं. वैसे तो मां के मंदिरों में पूरे साल रौनक और भक्तों की भीड़ बनी रहती है. लेकिन नवरात्र के नौ दिन मां के मंदिरों में धूम मची रहती है. भगवती के मंदिरों की महिमा तो कई बार सुनी होगी लेकिन आज ऐसे रहस्मयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी महिमा अपरंपार है. साथ ही इस महालक्ष्मी मंदिर में खजाना भी छुपा हुआ है.

यह मंदिर कोल्हापुर में स्थित है. इस मंदिर के खंभों को आजतक कोई गिन नहीं सका है. इस मंदिर में खजाना छुपा हुआ है. यह मंदिर 1800 साल पुराना है. शालि वाहन घराने के राजा कर्णदेव ने इसका निर्माण करवाया था, जिसके बाद मंदिर के अहाते में 30-35 मंदिर बने हुए हैं.

यह मंदिर 27 हजार वर्गफुट में फैला हुआ है. साथ ही 51 शक्तिपीठों में से एक हैं. आदि शंकराचार्य ने महालक्ष्मी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की थी.

इस मंदिर में देवी सती के तीनों नेत्र गिरे थे. यहां भगवती महालक्ष्मी का निवास माना जाता है.  मंदिर में एक बार सूर्य की किरणें देवी की प्रतिमा पर सीधे पड़ती है. बड़े पत्थरों को जोड़कर तैयार मंदिर की जुड़ाई बगैर चूने के की गई है. मंदिर में श्री महालक्ष्मी की तीन फुट ऊंची, चतुर्भुज मूर्ति है.

ऐसा कहा जाता है कि तिरुपति यानी भगवान विष्णु से रूठकर उनकी पत्नी महालक्ष्मी कोल्हापुर आईं थी. इस वजह से आज भी तिरुपति देवस्थान से आया शाल उन्हें दीपावली के दिन पहनाया जाता है.

कोल्हापुर की श्री महालक्ष्मी को करवीर निवासी ‘अंबाबाई’ के नाम से भी जाना जाता है.

नहीं गिने जा सके इसके खंभे

इस मंदिर में स्थित खंभों से एक ऐसा रहस्य जुड़ा है, जिसे सुलझाने में विज्ञान भी नाकाम साबित हुआ है. मंदिर के चारों दिशाओं में एक-एक दरवाजा मौजूद है और इसके खंभों को लेकर मंदिर प्रशासन का दावा है कि आज तक इन्हें कोई गिन नहीं सका है.

मंदिर प्रशासन की मानें तो कई बार लोगों ने इन्हें गिनने की कोशिश की लेकिन जिसने भी ऐसा किया उसके साथ कोई न कोई अनहोनी घटना देखने को मिली है.
विज्ञान भी इस रहस्य से पर्दा उठाने में नाकाम साबित हुआ है. कैमरे की सहायता से इन्हें काउंट करने का प्रयास हुआ लेकिन वह भी नाकाम साबित हुआ.

तीन साल पहले जब इसे खोला गया तो यहां सोने, चांदी और हीरों के ऐसे आभूषण सामने आए जिसकी बाजार में कीमत अरबों रुपए में हैं. सीसीटीवी कैमरों की नजर में इस खजाने की गिनती पूरे 10 दिन तक चली थी.

खजाने की गिनती के बाद आभूषणों का बीमा करवाया गया था. इससे पहले मंदिर के खजाने को 1962 में खोला गया था.

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