
लद्दाख के लेह में 24 सितंबर 2025 को हुई हिंसक झड़पों की घटना पर प्रशासन ने न्यायिक जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। लेह के उपायुक्त ने नुब्रा उपमंडल मजिस्ट्रेट मुकुल बेनीवाल को जांच अधिकारी नियुक्त किया है, जो चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे। इस हिंसा में चार युवाओं की मौत हो गई थी और 80 से अधिक लोग घायल हुए थे।
जांच का दायरा घटना के कारणों, पुलिस कार्रवाई और जिम्मेदारियों को तय करना होगा। बेनीवाल ने जनता से अपील की है कि यदि किसी के पास घटना से जुड़ी कोई जानकारी है, तो 4 से 18 अक्टूबर 2025 तक कार्यालय समय में उपायुक्त कार्यालय लेह के कॉन्फ्रेंस हॉल में संपर्क करें। उन्होंने कहा, “निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए सभी से सहयोग की अपेक्षा है।”
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहा शांतिपूर्ण आंदोलन 24 सितंबर को हिंसक हो गया। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) जैसे संगठनों के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने लेह में बंद का आह्वान किया। प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने कथित तौर पर पथराव किया, जिसके जवाब में पुलिस ने फायरिंग की। उपद्रवियों ने भाजपा कार्यालय में आग लगा दी, जिससे स्थिति बिगड़ गई। अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाना पड़ा और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं। सरकार ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया, जबकि उनके समर्थक इसे “शांतिपूर्ण आंदोलन का दमन” बता रहे हैं।
सोनम वांगचुक, जो लद्दाख के प्रमुख पर्यावरण और शिक्षा सुधारक हैं, को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिया गया। वांगचुक ने अपनी 15 दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त की थी और हिंसा से दूरी का आह्वान किया था, लेकिन पुलिस ने उनके “उत्तेजक बयानों” को जिम्मेदार ठहराया। उनके एनजीओ हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL) का FCRA लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। वांगचुक ने कहा, “मैं गांधीवादी रास्ता अपनाता हूं, हिंसा का समर्थन नहीं करता।”
कांग्रेस और सिविल सोसाइटी की मांग
कांग्रेस ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी की निंदा की और न्यायिक जांच की मांग उठाई। लद्दाख कांग्रेस प्रमुख नावांग रिगजिन जोरा ने लेफ्टिनेंट गवर्नर को पत्र लिखकर चार युवाओं की मौत पर जांच की अपील की। जयराम रमेश ने कहा, “बीजेपी ने लद्दाख को धोखा दिया, छठी अनुसूची का वादा तोड़ा।” सिविल सोसाइटी ग्रुप्स, प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव जैसे कार्यकर्ताओं ने वांगचुक की रिहाई और पुलिस फायरिंग की जांच की मांग की। KDA ने गृह मंत्रालय को ज्ञापन भेजा, जिसमें मृतकों के परिवारों को मुआवजा और हिरासत में लिए गए युवाओं की रिहाई शामिल है। लेह बार एसोसिएशन और LAB ने भी वांगचुक का बचाव किया।
स्थिति सामान्य हो रही, कर्फ्यू में ढील
लेह में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। बुधवार को कर्फ्यू में आठ घंटे की ढील दी गई—सुबह 10 से शाम 6 बजे तक बाजार खुले रहे, सड़कों पर चहल-पहल रही। हालांकि, स्कूल-कॉलेज बंद हैं और इंटरनेट सेवा 3 अक्टूबर तक निलंबित रहेगी। लेह एपेक्स बॉडी ने दिल्ली में प्रतिनिधिमंडल भेजकर बातचीत फिर शुरू करने की योजना बनाई है, लेकिन वांगचुक की रिहाई और जांच के बिना कोई मीटिंग न करने का ऐलान किया है। लद्दाख MP मोहम्मद हनीफा ने कहा, “यह बेरोजगार युवाओं का फ्रस्ट्रेशन है, कोई साजिश नहीं।”