Janmashtami 2021: हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है ये सूफी, जिन्होंने की कान्हा से मोहब्बत

मौलाना हसरत मोहानी एक स्वतंत्रता सेनानी, एक पत्रकार, एक शायर, संविधान सभा का एक सदस्य, और ‘इंक़लाब ज़िन्दाबाद’ का नारा इज़ाद करनेवाले एक इंक़लाबी शख्स के तौर पर तो जाने जाते हैं, मगर उनका एक रूप जिसके बारे में लोगों कम ही पता होता है, वो रूप है कृष्ण भक्ति का।

Heritage Times - श्री कृष्ण से मुहब्बत करने वाले महान स्वतन्त्रता सेनानी मौलाना  हसरत मोहानी!

मौलाना हसरत मोहानी के मुताबिक उनके यहां इस्लाम के बुज़ुर्गों के अतिरिक्त जिसका नाम बार-बार आया है वह नाम है ‘श्रीकृष्ण जी’ का। वह लिखते हैं- श्रीकृष्ण के बाब में फकीर अपने पीर और पीरों के पीर हज़रत सय्यदाना अब्दुल रज्जाक बांसवी रहमतउल्ला के मसलके आशिकी का पैरव है। उनका कहना था कि कुरान शरीफ मे वर्णन है कि अल्लाह ने दुनिया के हर हिस्से मे हादी (पैगम्बर) सही रास्ता बताने के लिए भेजे हैं।

हिन्दुस्तान में वो श्रीकृष्ण को ‘श्रीकृष्ण जी महाराज अलैहिसलाम पैगम्बरे हिन्दुस्तान’ कहते थे और यही वजह है कि करीब-करीब हर साल जन्माष्टमी के दिन मथुरा जाकर कृष्ण जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते थे। वह बरसाना, नन्दगांव और मथुरा बराबर जाया करते थे। मौलाना हसरत मोहानी का श्रीकृष्ण से श्रद्धा का अंदाजा उनकी शायरी से लगाया जा सकता है। उन्होंने ‘मन तो से प्रीत लगाई कान्हाई, काहू और की सूरत अब काहे को आई… जैसे पंक्तियां लिखकर कन्हैया से अपनी प्रीत का परिचय दिया है।

‘हसरत की भी कुबूल हो मथुरा में हाजिरी, सुनते हैं आशिकों पे तुम्हारा करम है खास… श्रीकृष्ण के प्रेम में लिखा यह शेर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शायर व सूफी मौलाना हसरत मोहानी का है। हसरत मोहानी का मथुरा से लगाव व श्रीकृष्ण से अकीदत मशहूर है। सिर्फ हसरत मोहनी ही नहीं इस फेहरिस्त में कई और मशहूर सूफियों का नाम शामिल हैं जिन्होंने श्रीकृष्ण की मोहब्बत को अपने कलाम (शायरी) में उतारा है।

सफीपुर स्थित खानकाह सफविया के सूफी बुजुर्गों ने भी श्रीकृष्ण पर कविताएं लिखकर गंगा-जमुनी तहजीब में मिठास घोलने का काम किया है। हजरत खादिम शाह सफी मोहम्मदी ने ‘मनमोहन मोरे मन मा बसत है, ढूंढ फिरी जग सारा री… रचना के माध्यम से मनमोहन के मन में बसने की बात कही। इसी तरह हजरत खलील मियां सफीपुरी ने ‘खलील मियां सब सुधबुध भूले, कोई बात ऐसी कह गयो बंसी वाला, हमारा मन ले गयो बंसी वाला… जैसा कलाम लिखकर हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने का काम किया है।

मशहूर सूफी बुजुर्ग शाह तुराब अली कलंदर काकोरवी, हजरत शाह काजिम कलंदर, शाह बरकतुल्लाह सहित कई सूफी शायरों ने अपने काव्य में श्रीकृष्ण की मोहब्बत के गीत लिखे हैं। खानकाह सफविया के सज्जादानशीन अफजाल मोहम्मद फारूकी कहते हैं कि सूफियों का पैगाम मोहब्बत और इंसानियत है। उनकी शायरी में भी इस बात के सुबूत मिलते हैं।

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