जन्माष्टमी 2018: देशभर में आज कृष्ण जन्माष्टमी की धूम

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे भारत में बड़ी ही धूमधाम और उत्साह से मनाया जा रहा है। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशिस्थ चन्द्रमाकालीन अर्धरात्रि के समय हुआ था। इस साल यह तीन अगस्त को मनाई जा रही है।

कृष्ण जन्माष्टमी

इस दिन लोग व्रत रखते हैं। मथुरा और वृंदावन समेत इस दिन की हर कहीं रौनक रहती है। इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती है। इस दिन भगवान को झूला झुलाने की परंपरा रही है।

क्यों मानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी लगातार दो दिन मनाई जाती है। एक जो वृंदावन में मनाई जाती है और दूसरी जो मथुरा में मनाई जाती है। इस दोनों की दिन मंदिरों में काफी रौनक रहती है। कुछ लोगों का मानना है कि पहली जन्माष्टमी मंदिरों और बाह्मणों के यहां मनाई जाती है और दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु ने अपने आंठवे कृष्ण रूप में जन्म लेकर धरती को कीर्तिमान किया था।

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कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त

इस साल 2 सितंबर रात 8 बजकर 46 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू होकर और 3 सितंबर को अष्टमी तिथि 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 2 सितंबर को रात 8 बजकर 48 से होगा और 3 सितंबर की रात 8 बजकर 08 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगा।

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विधि और नियम

व्रत की पहली रात को हल्का खाना ही खाएं। अगले दिन सुबह जल्दी उठकर, स्नान आदि करकर पूजा करें।

आप पूरा दिन फलाहार व्रत रख सकते हैं। इस दिन मांस,मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। न ही मसालेदार भोजन का सेवन करना उचित है।

कृष्ण की पूजा करने के लिए उनकी मूर्ति को मंदिर में स्थापित करें। भगवान के लिए झूले की भी व्यवस्था करनी चाहिए। अगर हो सके तो भगवान के बालक रूप की मूर्ति घर में लानी चाहिए।

भगवान की पूजा करते समय देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः लेना चाहिए।

रात में पूजा के बाद कुछ खा लें।

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