जमानत पर रिहा विधायक को शिक्षा मंत्री बना घिरे सीएम नीतीश, तेजस्वी बोले-भ्रष्टाचारी को उपहार

बिहार चुनाव के सफलता पूर्वक संपन्न होंने के साथ ही नीतीश कुमार के सीएम पद की शपथ लेने के बाद उनके साथ ही मंत्रियों ने भी शपथ ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में धांधली के आरोपी डॉ. मेवालाल चौधरी को जदयू कोटे से मंत्री बनाया है। ऐसे में सियासत थमने का नाम नहीं ले रही।

धांधली का आरोप झेल रहे मेवालाल को राज्य के शिक्षा विभाग की अहम जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। ऐसे में राजद ने इस मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार घेर लिया है। पार्टी नेता तेजस्वी यादव ने मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाये जाने को भष्टाचारियों को पुरस्कृत करने जैसा करार दिया है।

बुधवार 18 नवंबर को तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति और भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में भांदवि की धारा 409, 420, 467, 468, 471, और 120बी के तहत आरोपी मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाकर क्या भ्रष्टाचार करने का इनाम एवं लूटने की खुली छूट प्रदान की है?’

वहीं एक अन्य ट्वीट में तेजस्वी यादव ने कहा, ‘भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में भगौड़े आरोपी को शिक्षा मंत्री बना दिया। अल्पसंख्यक समुदायों में से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया। सत्ता संरक्षित अपराधियों की मौज है। रिकॉर्डतोड़ अपराध की बहार है। कुर्सी खातिर क्राइम, करप्शन एवं कम्युनलिज़्म पर मुख्यमंत्री जी प्रवचन जारी रखेंगे।

उल्लेखनीय है कि नवनिर्वाचित जदयू विधायक डॉ मेवालाल चौधरी को राज्य की तारापुर विधानसभा सीट से जीत मिली है। मेवालाल को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया गया है। राजनीति में प्रवेश से पहले साल 2015 तक मेवालाल भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे। मेवालाल 2015 में ही रिटायर होने के बाद राजनीती में प्रवेश किया था। चुनाव में जीत मिलने के बाद ही मेवालाल पर नियुक्ति घोटाले का गंभीर आरोप लगा जिसके बाद इस मामले में 2017 में केस दर्ज किया गया था। फिलहाल इस मामले में विधायक को कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली हुई है।

वहीं इस मामले पर कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा ने भी डॉ मेवालाल चौधरी को मंत्री बनाये जाने पर सवाल उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘मेवालाल जैसों को शिक्षा मंत्री बना कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने अपनी छवि को खुद ही धूमिल कर राजनीतिक प्रतिष्ठा को हल्का बना दिया है।’

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