सावन में बेल पत्र चढ़ाने का है बड़ा महत्व, ये करें तो होगी शिव की कृपा

शास्त्रों में कहा गया है कि सावन के  महीने में स्वयं भगवान शिव स्वयं पृथ्वी पर वास करते हैं और यही वो महीना  है जिसमें शिव की कृपा आसानी से पाई जा सकती है। वैसे तो शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान माने जाते हैं। सावन के माह में हर कोई  अलग अलग तरीके से भगवान को दूध और जल अर्पित करते हैं।

bel patra

लेकिन कहा गया है कि भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करने से शिव की कृपा जल्दी होती है। जो श्रद्धालु इस माह में  शिव को बेल  ‘पत्र’ चढ़ाते हैं, वे तन, मन व धन से संपन्न हो जाते हैं। आयु में वृद्धि रहती है। शरीर में कोई कष्ट नहीं रहता। कष्ट दूर होते हैं और सुख, समृद्धि मिलती है।

यह भी पढ़ें: सूर्य नमस्कार करते वक्त अगर आप भी करते हैं गलतियां, तो होगा गलत प्रभाव

शिवपुराण के अनुसार, तीनों लोकों में जितने पुण्य-तीर्थ प्रसिद्ध हैं वे सम्पूर्ण तीर्थ बेल पत्र  के मूलभाग में स्थित हैं।

क्या है बेल पत्र का महत्व

जो बेल  की जड़ के समीप भगवान शिव में अनुराग रखने वाले एक भक्त को भी भक्तिपूर्वक भोजन कराता है, उसे कोटिगुना पुण्य प्राप्त होता है। जो बेल  की जड़ के पास शिव भक्त को खीर और घृत से मुक्त अन्न देता है, वह कभी दरिद्र नहीं होता।

जो बेल  की जड़ के समीप आदर पूर्वक दीप जलाकर रखता है, वह तत्व ज्ञान से सम्पन्न हो भगवान महेश्वर में मिल जाता है। जो बेल  की शाखा थामकर हाथ से उसके नये-नये पल्लव उतारता और उनसे उस बिल्व की पूजा करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।

यह भी पढ़ें: अगर आपने भी अपने जीवन में किए हैं ये 10 पाप, तो मिलेगा उचित ठंड

हमारे  शास्त्रों में ऐसे निर्देश दिए गए हैं, जिससे धर्म का पालन करते हुए पूरी तरह प्रकृति की रक्षा भी हो सके। यही वजह है कि देवी-देवताओं को अर्पित किए जाने वाले फूल और पत्र को तोड़ने से जुड़े कुछ नियम बनाए गए है।

चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र  न तोड़ें। बेलपत्र भगवान शंकर को बहुत प्रिय है, इसलिए इन तिथियों या वार से पहले तोड़ा गया पत्र चढ़ाना चाहिए।

शास्त्रों में कहा गया है कि अगर नया बेलपत्र न मिल सके, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षाल्यापि पुन: पुन:।

शंकरायार्पणीयानि न नवानि यदि क्वचित्।। (स्कंदपुराण)

टहनी से चुन-चुनकर सिर्फ बेलपत्र ही तोड़ना चाहिए, कभी भी पूरी टहनी नहीं तोड़ना चाहिए। पत्र इतनी सावधानी से तोड़ना चाहिए कि वृक्ष को कोई नुकसान न पहुंचे।

बेलपत्र तोड़ने से पहले और बाद में वृक्ष को मन ही मन प्रणाम कर लेना चाहिए।

 

 

LIVE TV