पहलगाम, जम्मू-कश्मीर में हुए हमले के बाद नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तनाव चरम पर पहुंच गया है। हालिया खबरों के मुताबिक, कुछ पाकिस्तानी सैनिकों ने अपनी अग्रिम चौकियां छोड़ दी हैं, और पाकिस्तानी रेंजर्स ने अपनी चौकियों से राष्ट्रीय ध्वज हटा लिया है। विशेषज्ञ इसे मनोबल में कमी और संभावित सामरिक पीछे हटने का संकेत मान रहे हैं।

पहलगाम के बैसारन घाटी में 22 अप्रैल को हुए हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसकी जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली। टीआरएफ, प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक छद्म समूह है। पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इस हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है, लेकिन भारत के हमले की आशंका से इस्लामाबाद में डर का माहौल है।
भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ अपनी कार्रवाइयों को और सख्त कर दिया है। भारतीय सेना ने बताया कि पाकिस्तानी सैनिकों ने बिना उकसावे के एलओसी पर लगातार कई रातों तक गोलीबारी की, जिससे संघर्ष विराम का उल्लंघन हुआ। जवाब में, भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तानी एयरलाइनों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, जिससे इस्लामाबाद पर दबाव और बढ़ गया है।
पाकिस्तान के डीजी आईएसपीआर लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने दावा किया कि अगर भारत युद्ध का रास्ता चुनता है, तो पाकिस्तान जवाब देने का फैसला करेगा। लेकिन यह बयान उस समय आया है, जब भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी उकसावे को बर्दाश्त नहीं करेगा।
1993 में सीआईए के एक खुलासे के अनुसार, पाकिस्तान भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है, जो सिर्फ सैन्य या आर्थिक चिंताओं से परे है। नेशनल इंटेलिजेंस एस्टीमेट (एनआईई) में निष्कर्ष निकाला गया था कि भविष्य में कोई भी संघर्ष कश्मीर जैसे मुद्दों से शुरू हो सकता है, जिसमें पाकिस्तान शुरू से ही कमजोर स्थिति में होगा।
आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक रूप से नई दिल्ली ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत की है, जबकि इस्लामाबाद सैन्य शासन, राजनीतिक संकट और आर्थिक टूटन के बीच कभी भी भारत के साथ तालमेल नहीं बिठा सका।
एलओसी पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, जहां भारतीय और पाकिस्तानी सैनिक उच्च स्तर की सतर्कता बनाए हुए हैं। भारत ने पूर्ण पैमाने पर संघर्ष से बचते हुए अपनी कठोर नीति को स्पष्ट किया है। सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर करीबी नजर रख रही हैं, क्योंकि क्षेत्र में तनाव बरकरार है।