
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पश्चिम एशिया की वर्तमान स्थिति, गाजा में शांति तथा फलस्तीनी मुद्दे पर आयोजित खुली बहस में भारत ने रूस का आभार व्यक्त किया। भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथानेनी हरीश ने कहा कि यह बैठक बुलाने के लिए रूस का धन्यवाद। उन्होंने बताया कि यह चर्चा 13 अक्टूबर 2025 को मिस्र के शर्म अल-शेख में हुए गाजा शांति शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि में हो रही है, जिसमें भारत ने भाग लिया था तथा ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर का स्वागत किया था।
हरीश ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि इस कूटनीतिक पहल से क्षेत्र में स्थायी शांति का रास्ता खुलेगा। उन्होंने अमेरिका तथा विशेष रूप से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सराहना की, जिन्होंने समझौते को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मिस्र तथा कतर के योगदान की भी प्रशंसा की गई। भारत का मानना है कि संवाद, कूटनीति तथा दो-राष्ट्र समाधान ही शांति का एकमात्र मार्ग है। उन्होंने जोर दिया कि सभी पक्ष अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करें तथा किसी भी एकतरफा कदम से बचें।
हरीश ने स्पष्ट किया कि भारत का रुख 7 अक्टूबर 2023 से अब तक की घटनाओं पर आधारित है—आतंकवाद की कड़ी निंदा, नागरिकों की पीड़ा समाप्त करने की अपील, बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग, गाजा में निर्बाध मानवीय सहायता तथा तत्काल युद्धविराम की आवश्यकता पर बल। भारत इस शांति समझौते को क्षेत्र में स्थायी स्थिरता की दिशा में एक उत्प्रेरक के रूप में देखता है। उन्होंने कहा कि भारत इस प्रयास में पूर्ण रूप से योगदान देने को तैयार है।
यह बयान शर्म अल-शेख शिखर सम्मेलन के बाद आया, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी द्वारा सह-आयोजित सम्मेलन में इजरायल तथा हमास के बीच युद्ध समाप्ति तथा शांति योजना के पहले चरण के कार्यान्वयन पर समझौता हुआ था। भारत ने इसमें भाग लिया तथा मानवीय सहायता तथा पुनर्निर्माण पर जोर दिया। हरीश ने सीरिया में भी मानवीय चुनौतियों का उल्लेख किया तथा भारत द्वारा जुलाई 2025 में 5 मीट्रिक टन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति का जिक्र किया।





