विशेष… पीएम मोदी का 68वां जन्म दिन होगा कुछ खास, चाहकर भी भुला नहीं पाएंगी आने वाली सरकारें

भारतीय प्रधानमंत्रीनई दिल्ली। भारत ही नहीं दुनिया भर में अपनी दृढ़ निश्चय क्षमता, राजनीतिक कौशल, बेहतरीन सूझ-बूझ और मजबूत हौसलों का लोहा मनवा चुके भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ही के दिन यानी 17 सितंबर 1950 को पैदा हुए थे। वे स्वतन्त्र भारत के 15वें प्रधानमंत्री हैं और इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे पहले व्यक्ति भी। उन्होंने उठकर फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है।

पीएम मोदी का जन्म तत्कालीन बॉम्बे राज्य के महेसाना जिला स्थित वडनगर गांव में हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में हुआ था। अपने माता-पिता की कुल छ: सन्तानों में नरेंद्र दामोदर दास मोदी तीसरे पुत्र हैं और भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने अपने परिवार के लिए बचपन में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में अपने पिता का भी हाथ बँटाया।

औसत छात्र थे मोदी लेकिन इसमें थे निपुण

वडनगर के ही एक स्कूल मास्टर की मुताबिक भारतीय प्रधानमंत्री वैसे तो पढ़ाई में इतने पारंगत नहीं थे मतलब उनका रिजल्ट हमेशा से ही औसत रहता था, लेकिन जब कभी वाद-विवाद और नाटक प्रतियोगिता होती थी तो उसमें वे बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते। उनका भविष्य भी उनके बचपन की आदतों में छिपा था मतलब, उनकी रुचि शुरुआत से ही राजनीतिक विषयों पर नयी-नयी परियोजनाएँ प्रारम्भ करने की भी थीं।

मात्र 17 वर्ष की ही उम्र में ही बंधे शादी के बंधन में

पीएम मोदी का विवाह 17 वर्ष की आयु में जसोदा बेन चमनलाल के साथ कर दी गई थी लेकिन आपको यह नहीं पता होगा कि जसोदाबेन के साथ उनकी सगाई मात्र 13 वर्ष की आयु में ही हो गई थी।

खबरों के मुताबिक पीएम मोदी ने कुछ वर्ष तो पति-पत्नी की तरह साथ रहकर ही दांपत्य जीवन को निभाया लेकिन मन में कुछ कर गुजरने की चाहत ने उन्हें किसी और ही मोड़ पर पहुंचा दिया जिस कारण से वे कुछ समय बाद अपनी पत्नी के लिए ही अजनबी हो गए। कहते हैं कि शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने अपना घर त्याग दिया था।

शायद इसीलिए गुजरात विधानसभा चुनाव हो या केंद्र का लोकसभा चुनाव, सभी जगह उन्होंने अपने अविवाहित रहने की ही जानकारी दी और वे कहते हैं कि मैंने ऐसा कर कोई पाप नहीं किया है। क्योंकि जो व्यक्ति देश का भाग्य बदलने के लिए अपना घर बार त्याग कर एख सन्यासी की तरह केवल अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तपस्या में लीन रहा। उसका मानना था कि एक शादीशुदा व्यक्ति के मुकाबले अविवाहित व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ जोरदार तरीके से लड़ सकता है।

ऐसे व्यक्ति को अपनी पत्नी, परिवार व बाल बच्चों की कोई चिन्ता नहीं रहती। हांलाकि उन्होंने जसोदाबेन को अपनी पत्नी स्वीकार किया है।

एबीवीपी से लेकर भारत के प्रधानमंत्री तक का सफर

प्रधानमंत्री की दृढ़ इच्छा शक्ति और मन में देश के लिए कुछ कर गुजरने की ही चाहत ने उन्हें राजनीति की दुनिया में कदम रखने को प्रेरित किया। इसी वजह से वे युवावस्था में छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए। इसके साथ ही साथ उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी नव निर्माण आन्दोलन में हिस्सा भी लिया।

यही नहीं इन सब के साथ साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सक्रिय सदस्य रहने के पश्चात  उन्हें भारतीय जनता पार्टी में संगठन का प्रतिनिधि मनोनीत किया गया। पीएम मोदी ने उन्होंने आरएसएस के प्रचारक रहते हुए 1980 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर परीक्षा दी और एम.एस.सी. की डिग्री प्राप्त की।

उन्होंने शुरुआती जीवन से ही राजनीतिक सक्रियता दिखलायी और भारतीय जनता पार्टी का जनाधार मजबूत करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। यही नहीं गुजरात में शंकरसिंह वाघेला का जनाधार मजबूत करने में भी नरेन्द्र मोदी की ही रणनीति थी। अप्रैल 1990 में जब केन्द्र में गठबंधन की सरकारों का दौर शुरू हुआ ठीक उसी समय नरेंद्र मोदी की मेहनत रंग लायी और 1995 के गुजरात विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने बलबूते दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर सरकार बनाई।

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इसी दौरान सोमनाथ से लेकर अयोध्या और कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की दो रथ यात्रा और बड़ी घटनाओं ने ही राजनीति के क्षेत्र में पीएम मोदी की दिशा निर्धारित कर दी। इसके बाद 1995 से 2001 तक पार्टी में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाने के कारण ही उनका कद लगातार बढ़ता चला गया और यहीं से ही वह मुख्य रूप से देश की राजनीति में उभर कर सामने आए। भारतीय जनता पार्टी ने अक्टूबर 2001 में केशुभाई पटेल को हटाकर गुजरात के मुख्यमन्त्री पद की कमान नरेन्द्र मोदी को सौंप दी और तब से 2014 में हुए केंद्र के लोकसभा चुनाव में शायद ही उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा हो। यही कारण है कि उनका सबसे बड़ा सपना, भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने का, वह अब लगभग सच होता दिख रहा है और उनके इस काम में उनके सबसे बड़े भागीदार उनके सबसे जिगरी दोस्त अमित शाह ने भी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जन्मदिन पर हो रहीं विशेष तैयारियां

बता दें कि ‘17 सितंबर को यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर मां नर्मदा महोत्सव के लिए एक विशेष रैली रखी गई है। जिसमें पीएम मोदी भी शामिल होंगे। यही नहीं इसके अलावा इसमें विभिन्न जिलों से करीब लाखों लोग आएंगे।

इन लोगों के लिए राज्य की 1800 ट्रांसपोर्ट बसों की व्यवस्था की गई है, जिसके ज़रिये उन्हें यहाँ तक लाया जायेगा। इसका  खर्च जिला प्रशासन द्वारा उठाया जायेगा।

इस खास मौके सूरत में पिरामिड केक भी काटा जाएगा। मोदी के जन्मदिन के लिए यह खास आयोजन गुजरात की अतुल बेकरी, गैर सरकारी संगठन शक्ति फाउंडेशन और देश भर में गिटार के 30 से अधिक केंद्र संचालित करने वाली संस्था गिटार मॉन्क कर रहे हैं। ‘एम्पावरिंग डॉटर्स : एम्पावरिंग इंडिया’ के संदेश वाले इस केक में, चर्चित बेटियों की विभिन्न क्षेत्र में हासिल उपलब्धियों का जिक्र होगा।

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गिटार मॉन्क के निदेशक कपिल श्रीवास्तव ने कहा हमारे देश में नारी को शक्ति का रूप माना जाता है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या, दहेज की खातिर हत्या और लिंग असमानता से जुड़ी खबरें व्यथित कर जाती हैं। आधी आबादी बार-बार अपनी काबिलियत और उपयोगिता साबित करती है, फिर भी वह अपने अधिकारों से वंचित रह जाती है। प्रधानमंत्री का ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ संदेश इस मायने में बहुत प्रासंगिक है। जिस समाज में आधी आबादी सम्मानित न हो वह विकास कैसे कर पाएगा। हमारी कोशिश है कि केक आयोजन के माध्यम से एक संदेश लोगों तक जाए कि बेटियों को कम करके नहीं आंकना चाहिए।

सूरत शहर में आयोजित होने वाले इस समारोह में देश भर से आए 1000 से अधिक युवा गिटार वादक पीएम मोदी के जन्मदिन के लिए एक खास धुन भी बजाएंगे। स्वच्छ भारत अभियान के अलावा बालिकाओं को पढ़ने के लिए मुफ्त किताबें मुहैया कराने जैसे सामाजिक कार्य से संबद्ध रही अतुल बेकरी यह केक नि:शुल्क तैयार कर रही है। काटे जाने के बाद इस केक को दिव्यांग, कमजोर एवं वंचित वर्ग की करीब 10,000 लड़कियों को वितरित किया जाएगा।

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