मेरठ के किठौर क्षेत्र के गांव बोंद्रा निवासी 35 वर्षीय मजदूर आसिफ अली के नाम आयकर विभाग से 67.90 लाख रुपये की टैक्स चोरी का नोटिस आने से सनसनी फैल गई।

जांच में पता चला कि आसिफ के पैन नंबर का दुरुपयोग कर दिल्ली में रिद्धि-सिद्धि एंटरप्राइजेज नाम की फर्जी कंपनी बनाई गई, जिसके जरिए करोड़ों का लेनदेन किया गया। पीड़ित ने आयकर विभाग और पुलिस में शिकायत की, लेकिन दूसरा नोटिस भी जारी हो गया। कोर्ट के आदेश पर साइबर क्राइम थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू हो गई है।
फर्जीवाड़े की शुरुआत
आसिफ अली ने कोर्ट में दिए प्रार्थना पत्र में बताया कि वह मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। किसी ने उसके पैन नंबर और आधार कार्ड का इस्तेमाल कर फर्जी कागजात बनाए और जीएसटी नंबर हासिल कर लिया। दिसंबर 2018 से इस फर्जी फर्म के जरिए अवैध कारोबार किया जा रहा था। आसिफ को इसकी जानकारी तब हुई, जब मार्च 2023 में आयकर विभाग से 67.90 लाख रुपये का नोटिस मिला। वह जली कोठी स्थित आयकर कार्यालय पहुंचा और अधिकारियों को बताया कि वह मजदूर है और किसी कंपनी से उसका कोई लेना-देना नहीं है। अधिकारियों ने रिकॉर्ड ठीक करने का आश्वासन दिया, लेकिन 2024 और 2025 में भी नोटिस आते रहे।
पुलिस और कोर्ट का हस्तक्षेप
आसिफ ने पुलिस में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने साइबर क्राइम थाने को धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए। एसपी क्राइम अवनीश कुमार ने बताया कि मामले की जांच चल रही है और साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। आसिफ का कहना है कि उसने कभी कोई बैंक ट्रांजेक्शन नहीं किया, फिर भी उसके नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ।
आयकर विभाग की चुप्पी
आयकर विभाग के अधिकारी शुरू में जांच का भरोसा देते रहे, लेकिन नोटिस वापस नहीं लिया गया। आसिफ की शिकायत के बावजूद फर्जी कंपनी और इसके संचालकों की जानकारी सामने नहीं आई। साइबर क्राइम पुलिस अब आसिफ के पैन नंबर से जुड़े लेनदेन और फर्जी फर्म की कुंडली खंगाल रही है।
मामले की गंभीरता
यह मामला मेरठ में पैन और आधार कार्ड के दुरुपयोग से होने वाले साइबर फ्रॉड की गंभीरता को दर्शाता है। आसिफ जैसे साधारण मजदूर को बिना जानकारी के करोड़ों के फर्जीवाड़े में फंसाया गया। पुलिस का मानना है कि इस रैकेट में और लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है।