
हम जिस संस्कृति से जुड़ें हुए हैं वहां त्यौहारों को काफी महत्व दिया जाता है। हर त्यौहार अपने में अलग विशेषता रखता है। हमारे देश में लोग कई जाति-धर्म के लोग मौजूद हैं लेकिन वह सभी त्यौहारों को मनाते हैं। एक ऐसी ही पर्व है होली जिसमें दुश्मन भी एक दूसरे को गले लगाकर प्यार बांटते हैं। यह रंगों का त्यौहार बड़ा रंगीन होता है। लेकिन आज कल इस त्यौहार को लोग शांति संदेश देने के बजाय हुड़दंग और हल्ला मचाते हैं। यह सभी भी अपनी जगह पर ठीक है लेकिन होली के नाम पर लगाए जाने वाले रंग और गुलाल आपके स्वास्थ पर बुरा असर डालते हैं। शायद आपको नहीं पता कि बाजार में मिलने वाला रंग आपकी त्वचा के साथ ही आपको कैंसर जैसी बिमारी के खतरे में डाल सकता है।

अगर आप इस होली बाजार के रंगों से मुक्ति चाहते हैं तो हम आपको सलाह देंगे की आप बाजार के रंगों के स्थान पर हर्बल रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे आप बड़ी आसानी से घर पर ही बना सकते हैं। इन रंगों की सहायता से आप बिना डरे किसी भी के साथ होली खेल सकते हैं। फिर चाहें वह बच्चा हो या फिर वृद्ध। होली के रंग बनाने के लिए कुछ चीजें तो हमें अपनी रसोईघर से ही मिल सकती हैं। जैसे हल्दी पाउडर, चंदन पाउडर, सूखा आँवला, कत्था, केसर, चाय की पत्ती, मेंहदी की पत्तियों का पाउडर, बेसन, मैदा, चावल का आटा, मुल्तानी मिट्टी पाउडर आदि पदाथों से कई सूखे अथवा गीले रंग तैयार किये जा सकते हैं। जो चीजें घर पर उपलब्ध नहीं हो सकतीं, उन्हें बाजार से खरीदा जा सकता है।

पलाश, ढाक अथवा टेसू के फूलों से बना रंग होली खेलने वालों का सबसे पसंदीदा रंग है। हल्दी पाउडर या गैंदे अथवा अमलतास के फूलों की सूखी पंखुड़ियों को पीसकर पीला रंग बनाया जा सकता है। त्वचा के लिए उत्तम रक्त चंदन पाउडर या हिबिस्कस अथवा गुड़हल के फूलों से लाल रंग तैयार किया जाता है। लाल अनार के छिलकों अथवा लाल गुलाब के फूलों की सूखी पंखुड़ियों को पानी में उबालने से सुगंधित लाल रंग तैयार हो जाता है। हरा रंग बनाने के लिए मेंहदी की पत्तियों अथवा गुलमोहर के पेड़ की पत्तियों का पाउडर इस्तेमाल किया जा सकता है अथवा पालक, धनिया, पुदीना अथवा अन्य हरे रंग की पत्तियों का पेस्ट बनाकर पानी में मिलाया जा सकता है। नील के पौधों की पत्तियों अथवा जैकेरेंडा के फूलों से भी नीला रंग तैयार हो जाता है। इस तरह और भी कई हर्बल रंग तैयार किये जा सकते हैं।
