ज्यादा उम्र में कराया हार्ट ट्रांसप्लांट तो, खुल जाएंगे मौत के दरवाजे

हृदय रोग एक बहुत ही घातक समस्या है यह समस्या कभी इतनी भी बढ़ जाती है कि लोगों इसके इलाज के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट तक की नौबत आ जाती है। लेकिन हर चीज का एक सही समय होता है। जैसे कि हर उम्र में खान-पान बदल जाता है ठीक वैसे ही उम्र के हिसाब से ही चीजों के इलाज का भी तरीका बदल जाता है।

हार्ट ट्रांसप्लांट

हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए हार्टमैट-3 थेरेपी एक अच्छा माध्यम मानी गई है। अब तक इसके प्रयोग से 26 हजार रोगियों के लाज कराया जा चुका है। लेकिन इसके सफल प्रयोग से इस समय 14 हजार लोग अपना जीवन सही से जी रहे हैं।

हार्ट ट्रांसप्लांट

जिन रोगियों की उम्र 65 के पार पहुंच चुकी हुई होती है तो उस लोगों के लिए इलाज के लिए हार्टमेट-3 डेस्टिनेशन थेरेपी से इलाज ठीक रहता है। इसके अलावा जिन लोगों का पल्मोनेरी प्रेशर बढ़ा हुआ होता है उन लोगों का इस माध्यम से इलाज संभव नहीं होता है। ऐसे में उनके लिए हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह नहीं दी जाती है।

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एलवीएडी के ब्रांड में सबसे आम ‘हार्टमैट’ है, जिसे अमेरिका की कंपनी सेंट जूडस मेडिकल ने बनाया है और पिछले साल एबॉट हेल्थकेयर ने लिया है. हार्टमैट के वर्जन पिछले दो साल से उपलब्ध है. इसके अलावा ‘हार्टमैट 2’ को ज्यादातर ब्रिज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है जो कि हार्ट ट्रांसप्लांट तक अस्थायी तौर पर लगाया जाता था और यह लंबे समय तक चलता था जिसे हृदयरोग विशेषज्ञ डीटी (डेस्टिनेशन थेरेपी) का नाम देते हैं.

 

 

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