हरिवंश राय बच्चन की इन पंक्तियों से मिलती है ‘शहंशाह’ को पॉजिटिव एनर्जी

हरिवंश राय बच्चनमुंबई : मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी कविताओं से आज भी लोग मोटिवेट हो रहे हैं. आज हरिवंश राय का जन्मदिन है. उनका जन्म 27 नवंबर 1907 को यूपी के इलाहाबाद में हुआ था.

उनकी कविताओं से लोगों के साथ अमिताभ बच्चन हमेशा पिता की कविताओं को याद करते हैं. अमिताभ जब भी कमजोर पड़ते हैं या परेशानी में होते हैं. तब वह पिता की कविताओं को पढ़ते हैं.

बिग बी रोजाना सुबह उठकर अपने पिता की रचनाएं पढ़ना पसंद करते हैं. कई ऐसी कविताएं हैं, जो अमिताभ को बहुत पसंद है.

हरिवंश राय की लिखी गई कविताओं में से मधुशाला, मधुकलश, अग्निपथ, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौसठ खूंटे, दो चट्टानें बिग बी के दिल के बहुत करीब हैं.

एक बार उन्होंने कहा था कि वे जब भी बाबूजी की कविताएं पढ़ते हैं, उनमें पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होता है.

मधुशाला की ये लाइनें भी बिग बी की पसंदीदा हैं. मुसलमान औ’ हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!

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मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊंगा प्याला, पहले भोग लगा लूं तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला!

हरिवंश राय की इन पंक्तियों ने बिग बी को उस वक्त हौसला दिया था जब वे बुरे वक्त से गुजर रहे थे. तू न थकेगा कभी, तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ!

 

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