Har Chhath 2018: पुत्र कामना के लिए महिलाएं रखती हैं यह विशेष व्रत,जानें पूजा की विधि

हिन्दू धर्म में उत्तर प्रदेश के पूर्वी स्थानों में हरछठ का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को अन्य राज्यों में और भी कई नाम से जाना जाता है। इस त्योहार को हलषश्ती के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह त्योहार बहराम जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार आज मनाया जा रहा है।

 

हलछठ

पूजा की विधि

इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नाना आदि के बाद बलराम की कथा करती है। साथ ही इस दिन महिलाएं पूरा दिन अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं फल के सेवन से बी परहेज करती हैं।

इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिटटी या चीनी के वर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरतीं हैं। जारी (छोटी कांटेदार झाड़ी) की एक शाखा ,पलाश की एक शाखा और नारी (एक प्रकार की लता ) की एक शाखा को भूमि या किसी मिटटी भरे गमले में गाड़ कर पूजन किया जाता है। महिलाएं पड़िया वाली भैंस के दूध से बने दही और महुवा (सूखे फूल) को पलाश के पत्ते पर खा कर व्रत का समापन करतीं हैं।

यह भी पढ़ें: भगवान से दिल के तार कभी नहीं टूटेंगे अगर प्रार्थना करेंगे इस नियमों के अनुसार

बताया जाता है कि महाभारत की देवी उत्तरा ने अपने गर्भ में पल रहे नर बालक की सलामती के लिए भगवान कृष्ण का सहारा लिय़ा था तब भगवान ने उत्तरा को हरछठ का व्रत रखने को कहा था। बस उसी दिन से भारत के उत्तर में इस व्रत को रखने की परंपरा बन गई।

हलछठ का महत्व

इस दिन हल पूजा का विशेष महत्व है।

इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन करना वर्जित माना गया है।

इस दिन हल जुता हुआ अन्न तथा फल खाने का विशेष माहात्म्य है।

इस दिन महुए की दातुन करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

यह व्रत पुत्रवती स्त्रियों को विशेष तौर पर करना चाहिए।

हरछठ के दिन दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को ही कुछ भी ग्रहण करना चाहिए।

LIVE TV