
काबुल। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अगर फ़ख्रिया मुमताज़ की बात न करे तो यह अन्याय होगा। 42 वर्ष की फख़्रिया अफगानिस्तान में रहती हैं। वही अफगानिस्तान जो जंग और हमलों में पूरी तरह बर्बाद हो गया। जहां महिला सश्क्तीकरण का नाम भी लेना जान जोखिम में डालने के समान समझा जाता था।
ऐसे माहौल से निकली फख्रिया इस समय दिन रात एक कर के एक अमेरिकी कान्टेस्ट के फाइनल में पहुंचने की तैयारी में जुटी हैं। इसलिए नहीं कि उनका नाम रौशन होगा बल्कि इसलिए कि अगर वह यह कान्टेस्ट जीत जाएंगी तो एक अमेरिकी कंपनी उनके देश की महिलाओं को योग सिखाने के लिए एप तैयार करेगी।
फख्रिया एक योग सेंटर चलाती हैं। उनका मकसद महिलाओं को कट्टरवाद और जंग के हालात में शांति से जीना सिखाना है। मुमताज योग सेंटर देश का इकलौता योग केंद्र है। फख्रिया अब 18 साल की बेटी को भी योग की शिक्षा देने की तैयार कर रही हैं। फख्रिया ने 2016 में योग केंद्र शुरू किया था। सुबह योग केंद्र खुलते ही 4 लड़कियां अंदर दाखिल हो जाती हैं और उनके आसन शुरू हो जाते हैं। योग केंद्र में अच्छा माहौल रखने के लिए लाइट म्यूजिक भी बजता रहता है।
1996 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो फख्रिया अपने रिश्तेदारों के पास पाकिस्तान चली गईं। फख्रिया कहती हैं, ‘”योग खुद को जानने के लिए मददगार साबित होता है। अगर आप योग करते हैं तो अवसाद के शिकार नहीं होंगे।’’
दो साल से योग सेंटर आ रहीं 21 साल की महदीया जोया कहती हैं कि एक घंटे की क्लास में हम जंग, उसके हालात और डर से पूरी तरह से अलग हो जाते हैं। इसके बाद हम शांत महसूस करते हैं और सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। लेकिन कई महिलाएं खुशकिस्मत नहीं है और उन्हें योग करने का मौका नहीं मिल पा रहा।
ऐसी महिलाएं जो योग क्लास नहीं आ सकतीं, उनके लिए फख्रिया मोबाइल ऐप बनाने में जुटी हैं। वे कहती हैं, “मैं स्टार्टअप शुरू करने के लिए एक अमेरिकी कॉन्टेस्ट के सेमीफाइनल में पहुंच चुकी हूं। अगर मैं जीत जाती हूं तो एक ऐसा ऐप बनाऊंगी जिससे महिलाएं घर बैठे योग कर सकेंगी।”
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फख्रिया के मुताबिक, हमारे देश में सालों से जंग चल रही है। ऐसे में लोग शांति चाहते हैं। लेकिन शांति पाना तब तक संभव नहीं है जब तक कि आपके अंदर शांति न हो।फख्रिया एक आईटी कंपनी के परिसर में ही योग केंद्र चलाती हैं। यह कंपनी उनके पति की है।
वे युवावस्था से ही स्पोर्टी रही हैं। परिवार में भी स्पोर्ट्स एक्टिविटी को बढ़ावा दिया जाता था। फख्रिया को जिमनास्टिक काफी पसंद है। वे कहती हैं कि अगर महिलाएं शारीरिक, मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होंगी तो उनके बच्चे भी ऐसे नहीं हो सकते।