जीएसटी परिषद् की अहम् बैठक में लिए गए बड़े फैसलें, पेट्रोल-डीजल पर भी बड़े बदलाव की उम्मीद

जीएसटीनई दिल्ली। जीएसटी लागू होने के बाद से आम नागरिक और व्यापारी वर्ग को काफी दिक्कतें आ रही हैं। केंद्र सरकार ने टैक्स को कम कर राहत देने के उद्देश्य कुछ अहम् बदलाव किये हैं। जिसके तहत जीएसटी परिषद की दो दिवसीय बैठक बुलाई गई थी जोकि शुक्रवार को खत्म हुई है।

इस बैठक में 200 से ज्यादा उत्पादों का रेट कम कर दिया है। इन्हें 28 फीसदी टैक्स स्लैब से निकालकर 18 और 12 फीसदी के टैक्स स्लैब में रखा गया है। इतने बड़े फैसले के बाद अभी भी जीएसटी में बदलाव की गुंजाइश बची है।

बता दें अगली कुछ बैठकों में जीएसटी परिषद कई अहम फैसले ले सकती है, जिसमें पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने समेत अन्य कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।

सभी हैं राज्य तैयार

पिछले महीने महाराष्ट्र सरकार में वित्त मंत्री सुधीर मुनगटीवार ने कहा था कि सभी राज्यों ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की अनुमति दे दी है।

उन्होंने कहा कि अब इन उत्पादों को इसके तहत लाने के लिए हमें सही वक्त का इंतजार करना होगा।

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मंत्री के मुताबिक, ‘यह सही वक्त अब जल्द ही आ सकता है। अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के तहत आ जाता है, तो आपको 1 लीटर पेट्रोल के लिए 43 रुपये के करीब चुकाना पड़ेगा।

पेट्रोल-डीजल जीएसटी के तहत?

पिछले कुछ समय से पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार बढ़ रहे दाम से देश की जनता काफी परेशान है। केंद्र सरकार के एक्साइज ड्यूटी घटाने और कुछ राज्य सरकारों की तरफ से वैट घटाने के बाद भी राहत नहीं मिल रही है। ऐसे में सरकार जल्द से जल्द पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर विचार कर सकती है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने भी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने की अपील कर चुके हैं।

रियल इस्टेट भी जीएसटी दायरे में?

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि रियल स्टेट को जल्द ही जीएसटी के तहत लाया जा सकता है। इससे लोगों को बड़े स्तर पर फायदा मिलेगा।

ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जीएसटी की आने वाले दिनों में होने वाली बैठकों में इस पर फैसला लिया जाना तय है।

नियमों में दिखेगी सहूलियत

रियल इस्टेट और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर विचार करने के अलावा जीएसटी परिषद टैक्स स्लैब कम करने पर भी विचार कर सकती है। वहीँ उम्मीद जताई जा रही है कि जीएसटी कानून और नियमों में बदलाव पर भी सरकार विचार कर सकती है।

बता दें इस पूरे बदलाव का मकसद कारोबारियों की सहूलियत को बढ़ाना है।

साथ ही जीएसटी परिषद सीमेंट और पेंट को भी 28 फीसदी से  नीचे के टैक्स स्लैब में रखने पर विचार कर सकती है। फिलहाल इन दोनों उत्पादों को 28 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा गया है।

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बता दें घर निर्माण और कई अहम निर्माण के कार्य में इनका इस्तेमाल होता है।

खबरों के मुताबिक कारपेट पर कर 12 फीसदी से घटाकर  5 फीसदी किया जा सकता है। इसकी वजह उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में कारपेट यूनिट के बड़े स्तर पर बंद होने को बताया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को केंद्र सरकार ने जीएसटी के निर्धारण में अब तक कासबसे बड़े बदलाव करते कहा कि आम इस्तेमाल वाली 178 वस्तुओं पर कर दर को मौजूदा के 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया है। इसमें चॉकलेट और सौंदर्य प्रसाधनों, विग से लेकर हाथ घड़ी तक करीब 200 उत्पादों पर कर की दरें घटा दी हैं।

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