किसानों की फसल ही नहीं जिंदगी भी हो रही बर्बाद, लड़की के घरवालों ने लगाई ‘रोक’
नई दिल्ली। देश के किसान ही हालत किसी से छुपी नहीं है। अगर नजर डालें तो उनकी आत्महत्या की खबर दिख ही जाएगी। वहीं दूसरी ओर हर किसी को सरकारी नौकरी की चाहत है। अब हर कोई एक जैसा तो काम कर नहीं सकता। लेकिन एक काम जो एक करता है या करना चाहता है वो है शादी। जो हो नहीं है। किसानों की। भले ही कितना ही समपन्न हो।
वहीं दूसरी तस्वीर सरकारी नौकरी वाले की है। जिसे हर कोई देखना चाह रहा है। खासकर लड़कियां। कमाता कितना भी हो फर्क नहीं पड़ता। पद चपरासी को है तब भी चलेगा।
ये बात हम नहीं कह रहे। हालात ही किसानों के खिलाफ हैं। जिंदगी को तो कोई ठिकाना नहीं था पहले ही अब शादी का भी नहीं है। कोई पसंद ही नहीं करता है। रिश्ते आने का तो छोड़िए भेजने पर भी साफ ना कह दिया जाता है।
यह भी पढ़ें : नए साल के पिटारे में आपके लिए क्या है खास? जानिए, राशिफल 2018
बता दें कि, इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2001 से 2011 के बीच 90 लाख लोगों ने विभिन्न कारणों से किसानी छोड़ दी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह आंकड़ा अभी और बढ़ेगा।
महाराष्ट्र के किसान की खबरें तो सब पढ़ते हैं। यह इलाका किसानों के सूइसाइड के लिए जाना जाता है। यहीं के विदर्भ क्षेत्र के बुलधना जिले में रहने वाले किशोर सावले 32 साल के हैं। उन्होंने लाइब्रेरी साइंस में पीजी किया है और एजुकेशन में डिप्लोमा किया है।
तमाम प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद किशोर हर महीने करीब 20 हजार रुपये कमा लेते हैं लेकिन शादी की चाहत पूरी करने के लिए यह पर्याप्त नहीं है। किशोर की एकमात्र इच्छा यह है कि उनकी पत्नी शिक्षित होनी चाहिए।
यह भी पढ़ें : दरवाजे के पास भूलकर भी न रखें ये वस्तुएं, होंगे देवी-देवता नाराज
दोंगर शेवली गांव किशोर करीब एक करोड़ 20 लाख रुपये की जमीन के मालिक हैं। इतना सब होने के बाद भी सावले को पिछले चार साल से एक दुल्हनिया नहीं मिल पा रही है।
उन्होंने अब तक 30 परिवारों के पास शादी का प्रस्ताव भेजा लेकिन हर बार बस एक वजह से उन्हें निराशा झेलनी पड़ी। शादी का रिश्ता तय न होने की वजह उनका किसान होना है।
किशोर ने कहा कि, इतने लंबे इंतजार के बाद अब शादी के लिए किसानी छोड़कर नौकरी करने पर विचार कर रहे हैं।
किशोर ने कहा, ‘मैंने जिन परिवारों और लड़कियों से मैंने संपर्क किया, उन्होंने कहा कि वे किसान की बजाय निजी या सरकारी नौकरी वाले चपरासी को ज्यादा तवज्जो देंगे।’
कर्नाटक के बेलगावी जिले के विश्वास बेलेकर ने ऐसा ही किया है। बेलेकर के पास ढाई एकड़ जमीन है, जहां वह तंबाकू पैदा करते हैं। वह अपने संपन्न परिवार में एकमात्र बेटे हैं।
जब उन्होंने महसूस किया कि किसान होने की वजह से शादी के प्रस्ताव खारिज किए जा रहे हैं, उन्होंने पड़ोसी महाराष्ट्र के हुपरी कस्बे में एक अंशकालिक नौकरी करने लगे।
साभार: एनबीटी