Movie Review : नहीं कर पाएंगे ‘चू चां’, सिर्फ दुखेगा पेट

मुंबई। फुकरों ने 4 साल बाद पर्दे पर फिर वापसी की है। आज पर्दे पर फुकरे रिटर्नस रिलीज हुई है। यह  साल 2013 की फिल्‍म फुकरे की सीक्‍वल है। पुरानी स्‍टार कास्‍ट पुलकित सम्राट, वरूण शर्मा, अली फजल, मनजोत, पंकज त्रिपाठी, रिचा चड्डा, विशाखा सिंह, प्रिया आनंद के साथ डायरेक्‍टर मृगदीप लांबा दर्शकों पर वही जादू चलाने आ गए हैं।

2 घंटे 15 मिनट की इस फिल्‍म में फकरों की दोस्‍ती और पागलपन देखने को मिलता है। स्‍कूल लाइफ खत्‍म होने के बाद भी हनी (पुलकित सम्राट) और चूचा (वरुण शर्मा) की दोस्ती वैसे ही बरकरार रहती है।  जितना दोनों दोस्‍त एक दूसरे मरते हैं उतना ही चूचा की मां को इनकी दोस्ती से चिढ़ती हैं।

फिल्‍म की कहानी पहले पार्ट को आगे बढ़ाते हुए चलती है। जहां पिछले पार्ट में भोली पंजाबन (रिचा चड्डा) जेल जा चुकी थी। वही भोली अब जेल से बाहर आकर फुकरों को जीना दूभर कर देती है। चूचा के दिल में अभी भी भोली के लिए प्‍यार भरा हुआ है। हालांकि भोली को चूचा बिल्‍कुल भी पसंद नहीं है।

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बाकी किरदारों पर नजर डाले तो बता दें, तीसरा फुकरे लाली (मनजोत सिंह) को न चाहते हुए भी अपने पिताजी की हलवाई की दुकान पर काम करना पड़ता है। वहीं चौथा फुकरा जफर (अली फजल) अपने प्‍यार के साथ शादी करके खुशहाल जिंदगी बिताने का ख्‍वाब देखता है। इन फुकरों के अलावा पंडित जी (पकंज त्रिपाठी) ऐसे शख्‍स है जो समय समय पर इन सबकी मदद कर इन्‍हें मुसीबत से निकालते हैं।

फिल्म के इस पार्ट के कहानी लेखक विपुल विग नया ट्विस्ट लेकर आए हैं। फिल्म में ‘देजा वू’ का ट्विस्‍ट कहानी को काफी रोमांचक मोड़ देता है। चूचा को अपनी स्पेशल शक्ति‍ के बारे में पता चलता है। चूचा इसे ‘देजा चू’ का नाम देता है। ‘देजा चू’ की वजह से चूचा को भविष्‍य दिखता है।

पिछली बार भारी नुकसान झेल चुकी भोली इस बार फुकरों से पूरी तरह बदला लेने के मूड में रहती है। भोली अपनी गैंग में दो अफ्रीकन मेम्बर को शामिल करके फकरों को टॉर्चर करती है। भोली का नुकसान चुकाने के लिए फुकरा टीम भोली से कुछ और पैसे लेकर लॉटरी का नंबर निकालने का काम शुरू करते हैं, जिसमें चूचा पहले ही इन्हें सही नंबर बताता है।

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शहर के कई लोग फुकरा टीम की लॉटरी में अपनी जमा-पूंजी लगाते हैं। पैसा लगाने वालों को दोगुनी रकम मिलती है। चूचा की स्‍पेशल पॉवर की मदद से फुकरों का यह बिज़नस चल जाता है। पंडित जी इस बिज़नस में इनके साथ रहते हैं। तभी दिल्ली और बॉर्डर के इलाके में लॉटरी के बिज़नस से जुड़े मिनिस्टर का धंधा फुकरा टीम के लॉटरी के बाद बंद होने की कगार पर पहुंच जाता है। ऐसे में मिनिस्टर एक ऐसी चाल चलता है, जिससे फुकरा टीम को लॉटरी में करोड़ों का घाटा हो जाता है। कहानी का नया मोड़ फुकरों के लिए नई मुसीबत लेकर आता है। ऐसे में कहानी कैसे अपने अंजाम तक पहुंचती है ये जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना पड़ेगा।

विपुल विग ने कहानी में नयापन लाने की हर भरसक कोशिश की है। पहले पार्ट की तुलना में दूसरा पार्ट आपको भले ही खास न लगे लेकिन फुकरे रिटर्नस आपके मनोरंजन का एक भी मौका नहीं छोड़ती है। कहानी के एक एक डायलॉग अपको फिल्म से जुड़ने को मजबूर कर देते हैं। विपुल ने फिल्म के डायलॉग कहानी और किरदारों की मांग के अनुसार लिखे हैं।

कहानी जैसी भी हो पर इसमें स्‍टारकास्‍ट ने अपनी जान फूंक दी है। वरुण की एक्टिंग दिल जीत लेती है। उन्‍हें देखकर लगता है अगर वो नहीं, तो ऐसा कोई भी नहीं है जो चूचा का किरदार पर्दे पर बखूबी निभा सके। पुलकित और पंकज की एक्‍टिंग भी जबरदस्‍त है। अली और मनजोत को भले ही कम मौका मिला है। लेकिन उन्‍होंने अपनी काबीलियत साबित की है। रिचा ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है। लेकिन विशाखा और प्रिया का किरदार जबरदस्‍ती वाला लगता है। उनका किरदार दर्शकों को सुतुष्‍ट करने में नाकामयाब साबित होता है।

स्‍टार – 3.5

मृगदीप लांबा का डायरेक्शन अच्छा है। मृगदीप की ये फिल्म दर्शकों पर जादू तो चलाती है पर पिछली बार की तरह संतुष्टी नहीं दे पाती है। जबतक आप हंस कर लोटपोट न हो जाएं या आपका पेट न दर्द करने लगे तबतक फिल्म आपको हंसने का मौका देती है।

फिल्म के गाने भी दर्शकों के लिए कहानी की तरह ही हैं। अच्छे तो रहे पर पिछली बार वाला जादू नहीं कायम कर सके। फिर भी यह फिल्म आपके लिए पैसा वसूल है। फुकरों का पागलपन देखने सिनेमा घर जा सकते हैं।

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