आजाद देश का सपना देखने वाले को सरकार ने बता दिया ‘आतंक का आका’

नई दिल्ली। आज हम आजाद देश में सांस ले रहे हैं। गुलामी की जंजीरों से देश को आजाद कराने और अंग्रेजों के चंगुल से भारत को मुक्त कराने के लिए ना जाने कितने ही देश भक्तों ने अपना लहू बहाया है। ऐसे में यदि आजादी के लिए अपने जीवन की आहोती देने वालों के बारे में देश की शिक्षा प्रणाली यदि कुछ गलत शब्दावली इस्तेमाल करती है तो वाकई ये एक दुःख की बात है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें स्वतंत्रता सेनानी और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को ‘आतंक के पितामह’ से संबोधित किया गया।

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अंग्रेजों के चंगुल

खबरों के मुताबिक़ राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से जुड़ी पुस्तक में बाल गंगाधर तिलक को आतंक का पितामह बताया गया है।

इस मामले पर पुणे की मेयर और तिलक के परपोते की पत्नी मुक्ता तिलक ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया है।

मुक्ता ने कहा, उन्होंने अपनी जिंदगी के 50 साल भारत को दिए। इतना कुछ करने के बावजूद उन्हें आतंकवाद का पितामह के तौर पर दिखाया जा रहा है। यह शर्मिंदगी की बात है और यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है।

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राजस्थान राज्य के टेक्स्टबुक बोर्ड की यह पुस्तक हिंदी में प्रकाशित है। यह पुस्तक अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को संदर्भ पुस्तक के तौर पर भेजी गई है।

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पुस्तक के 22 वें अध्याय के पेज नंबर 267 आपत्ति जनक तथ्य लिखा गया है। 18-19 वीं शताब्दी के राष्ट्रीय आंदोलन की घटनाएं शीर्षक से जुड़े पाठ में कहा गया है कि तिलक ने राष्ट्रीय आंदोलन में उग्र प्रदर्शन के पथ को अपनाया था और यही वजह है कि उन्हें ‘आतंक का पितामह’ कहा जाता है। ‘वह मानते थे कि अंग्रेजी हुकमरानों के सामने हाथ फैलाने और गिड़गिड़ाने से कुछ हासिल नहीं होगा।’

ऐसे में शिवाजी और गणपति उत्सव के सहारे तिलक ने देश में जागृति पैदा की। उन्होंने जनमानस में स्वाधीनता की आवाज को पुरजोर बुलंद किया। इसके चलते वे हमेशा ब्रिटिश सरकार की आंखों में खटकते रहे थे।

‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। मैं इसे लेकर रहूंगा’ का नारा देन वाले स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की देश में एक अलग पहचान रही है। लेकिन बाल गंगाधर तिलक को आतंक का जनक कहे जाने पर राजस्थान सरकार की काफी किरकिरी हो रही है।

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