किसानों को लेकर मनमोहन ने वो सबूत रखे हैं, जिन्हें जेटली-मोदी नकार नहीं सकते!

नई दिल्ली। देश का आम बजट पेश किया जा चुका है। मोदी सरकार और बीजेपी को छोड़कर पूरा देश इसे अच्छा नहीं बता रहा है। अब बजट पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बड़ा बयान दिया है।

मनमोहन सिंह

वित्त मंत्री ने बजट पेश करते समय कहा था कि इसमें किसानों का खास ध्यान रखा गया है। संसद में बजट पेश होने के बाद पीएम मोदी ने भी देश को संबोधित करते हुए कहा था कि 2022 तक किसानों की आय दो गुनी होगी।

इसी पर मनमोहन सिंह ने गुरुवार को पेश किए गए बजट में किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर किए गए दावों पर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ये संभव ही नहीं कि 2022 तक किसानों की आय दो गुनी कर दी जाए।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा कि साल 2022 तक किसानों की आय दो गुनी करने को लेकर केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री और ख्यात अर्थशास्त्री  मनमोहन जेटली के दावों से असहमति जताई।

विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने मनमोहन सिंह ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना तब तक संभव नहीं है जब तक कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 12 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती। और जब तक हम इसे पा नहीं लेते, यह केवल जुमला ही है।

इसकी वजह भी उन्होंने बताई है। कहा है कि जब तक कृषि की विकास दर 12 फीसदी तक नहीं पहुंचती, किसानों की आमदनी दोगुनी हो ही नहीं सकती है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 2016-17 के आकलन में बताया था कि भारत की कृषि विकास दर 4.9 फीसदी है। वहीं 2017-18 के लिए इस दर के आधे होने की बात कही गई है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने कहा है कि, इस साल कृषि की विकास दर 2.1 फीसदी ही रहेगी। इसी आंकड़े को लेकर मनमोहन सिंह ने कहा कि अभी तो विकास दर 2.1 फीसदी है। जब ये 12 फीसदी पर पहुंचेगी, तभी किसानों की आमदनी दोगुनी होगी। ऐसे में अगले चार साल में ये संभव नहीं दिख रहा है। पीएम मोदी और वित्त मंत्री जेटली की बातों को कोरा आश्वासन बताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकारी घाटा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सरकार अपने वादे पूरे कर ही नहीं सकती है।

पूर्व प्रधानमंत्री ने मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि, ‘राजकोषीय घाटे में वृद्धि हुई है।’ इससे पहले, सिंह ने कहा था कि यह देखना होगा कि सरकार अपने वादों को कैसे पूरा करेगी।

उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि मैं यह कह सकता हूं कि यह बजट चुनावों में फायदा हासिल करने की मंशा से पेश किया गया है, लेकिन मुझे इस बात की चिंता है कि वित्तीय अंकगणित में कुछ गड़बड़ है।’

जब पूर्व प्रधानमंत्री ये यह पूछा गया कि क्या बजट रिफॉर्म के एजेंडे को आगे बढ़ाता दिख रहा है? इस पर मनमोहन सिंह ने कहा कि इस शब्द का कई बार उपयोग और दुरुपयोग हुआ है।

क्या कृषि संकट पिछली सरकारों की वजह से है और यदि नहीं तो इसे किस तरह डील किया जाना चाहिए के सवाल पर उन्होंने किसी तरह की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

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