आंदोलन ख़त्म होने के बाद घर लौटने की खुशी से झूमते दिखे किसान
नवंबर 2020 में आंदोल करने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर पहुँचे किसानों ने शनिवार (11 दिसंबर) की सुबह अपने-अपने घक की ओर लौटना शुरू कर दिया है। किसानों ने सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर सीमाओं के राजमार्गों पर से नाकेबंदी हटा दी है। लगभग 14 महीनो तक अपने-अपने घरों से दूर कृषि क़ानून बिल के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए ये किसान अपने साथ जीत की ख़ुशी और सफ़ल प्रदर्शन की यादें लेकर लौट रहे हैं।
रंग-बिरंगी रोशनी से सजे ट्रैक्टर जीत के गीत गाते हुए विरोध स्थलों से निकलने लगे और रंगीन पगड़ि बांधे बुज़ुर्ग युवाओं के साथ नृत्य करते नजर आए। न्यूज़ एजेंसी ANI द्वारा ट्विटर पर इससे संबंधित कुछ वीडियो पोस्ट किए हैं, जिसमें कि कुछ लोग खुशी मनाते हुए ट्रैक्टर से घर वापस जा रहे हैं।
पंजाब के मोगा के रहने वाले किसान कुलजीत सिह ओलाख ने घर लौटने की खुशी के साथ कहा, “सिंघू बॉर्डर पिछले एक साल से हमारा घर बन गया था। इस आंदोलन ने हमें (किसानों को) एकजुट किया। यह एक ऐतिहासिक क्षण है और आंदोलन का विजयी परिणाम और भी बड़ा है।”
सिंघू सीमा (दिल्ली-हरियाणा सीमा) पर से भी किसान हट गए हैं. किसानों में जीत की खुशी और घर लौटने का उत्साह साफ़ देखने को मिल रहा है। सिंघू सीमा के KMP फ़्लाईओवर के पास भी वाहनों की लंबी कतार देखी गई। साल भर के विरोध प्रदर्शन के बाद किसान अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं।
ग़ाज़ीपुर सीमा पर किसानों ने कहा कि वह सैकड़ों अच्छी यादों के साथ और कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ मिली जीत के साथ घर जा रहे हैं। 11 दिसंबर को किसान ‘विजय दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। तीनों कृषि क़ानूनों को निरस्त करने की माँग को लेकर हज़ारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
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