
मुंबई। परीक्षा की दहलीज पर पहुंचने के साथ ही हर कोई सत्र की अंतिम परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयारी कर रहा है और इन बोर्ड परीक्षाओं को लेकर विद्यार्थियों के साथ ही उनके परिवार वालों पर तनाव बढ़ता जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए फोर्टिस ने एक विशेष परीक्षा हेल्पलाइन ‘918376804102’ शुरू किया है। परीक्षा के समय थोड़ा सा तनाव होना अच्छी बात है, क्योंकि यह हमें कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। लेकिन परीक्षाओं के कारण कई बार तनाव का स्तर हमारे नियंत्रण से बाहर हो सकता है, जो हमें हमारा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने से रोक सकता है, इसलिए इसे थामना और वापस अपने नियंत्रण में लाना बहुत जरूरी है।
परीक्षा के दौरान कई बच्चे बीमार पड़ जाते हैं, उन्हें थकान महसूस होती है, सोने में परेशानी आती है और माता-पिता के दबाव और साथियों के प्रभाव के कारण मनोबल भी कम हो जाता है।
विद्यार्थियों और उनके माता-पिता का मार्गदर्शन करने के लिए सप्ताह के सातों दिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक हेल्पलाइन पर एक सलाहकार उपलब्ध होगा, जिसमें संकट हस्तक्षेप प्रदान किया और हर उस व्यक्ति के प्रश्नों का उत्तर दिया जाएगा, जो परीक्षा संबंधित तनाव का सामना करने का संघर्ष कर रहे हैं।
इसकी शुरुआत पर फोर्टिस हेल्थकेयर के मानसिक स्वास्थ्य और व्यावहारिक विज्ञान विभाग के निदेशक डॉ. समीर पारिख ने यह जानकारी दी, “परीक्षाओं के दौरान, विद्यार्थी अपने सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन देने के लिए बेहद दबाव में होते हैं और कई बार प्रचुर मात्रा में यह दबाव माता-पिता और समाज की ओर से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में आता है।”
उन्होंने कहा कि परीक्षा के तनाव के कुछ प्रमुख लक्षणों में से अव्यक्त वेदना और दर्द, भोजन करने की खराब इच्छा, विभिन्न गतिविधियों में दिलचस्पी की कमी होना, बढ़ती थकान और चिड़चिड़ापन, हृदय दर का बढ़ना, माइग्रेन/सिरदर्द, धुंधली दृष्टि, चक्कर आना आदि प्रमुख है। इसलिए, इस हेल्पलाइन सेवा का प्रमुख प्रस्ताव उन विद्यार्थियों के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान करना है, जो परीक्षाओं के दौरान खौफनाक समय से गुजर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “विद्यार्थियों की तरह ही, माता-पिता भी अपने बच्चों और परीक्षा को लेकर उनकी तैयारियों के प्रति काफी चिंतित रहते हैं। हम उन्हें यह सुझाव देते हैं कि तनाव-मुक्त कैसे रहें और बच्चों की तैयारी उनकी मदद कैसे की जाए कि वे परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन दे सकें।”