बच्चों के साथ-साथ हर कोई रहें पटाखों से दूर, हो सकती हैं ये खतरनाक बीमारियां

दीपावली मतलब कि खुशियों का त्योहार आ रहा है। ऐसे में हर तरफ बस खुशियों का ही माहौल होगा। हर तरफ चांद-सितारों से जगमगाता आसमान, जगमगाते दीप मिठाईयां, हर तरफ पकवान इस दिन को बेहद खास मना देता है। लेकिन बच्चों का इस त्योहार से सीधा मतलब होता है उनको खेलने के लिए पटाखों दे देना। लेकिन यह बात भी सभी जानते हैं कि पटाखें स्वास्थ्य और सेहत दोनों के लिए ही काफी हानिकारक होते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इन्हीं पटाखो के कारण शरीर में कितने तरह के नुकसान हो सकते हैं।

खतरनाक बीमारियां

आंखों की समस्या

दीपावली में जलाने वाले पटाखों से जो धुआं निकलता है वह आपके स्वास्थ्य के साथ-साथ आपकी सेहत के लिए भी काफी हानिकारक होता है। इससे टॉक्सिन भी अधिक मात्रा में निकलता है। पटाखों के कारण ही आंखों में जलन और पानी आने की समस्याओं जैसी मुसीबतें बढ़ जाती है। इसलिए आंखो का खास ध्यान रखें।

हाई ब्लड प्रेशर

पटाखों की आवाज और उसके धुएं से जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है उन लोगों को इस बीमारी से और भी ज्यादा तकलीफ होने लगती है। हाई ब्लड प्रेशर वालों को अपनी सेहत का भी खास ख्याल रखने की आवश्यकता होती है।

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अल्जाइमर

पटाखे में सफेद रोशनी पैदा करने के लिए एल्युमिनियम का प्रयोग किया जाता है। ये तत्व त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसके इस्तेमाल से डर्मेटाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसके साथ ही इसके जलने से पैदा होने वाली गैस का बच्चों के दिमाग पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और वो अल्जाइमर जैसे रोगों का शिकार हो सकते हैं।

गर्भपात का खतरा

पटाखों जिस तरह के केमिकल से बनता है उसका इस्तेमाल हमारे शरीर के लिए काफी नुकसानदायक होता है। पटाखों से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस सांस के लिए तो नुकसानदायक है ही लेकिन यह गैस मां के शरीर में पल रहे छोटी सी जान के लिए भी काफी नुकसानदायक होती है। इसलिए इस गैस का इस्तेमाल गर्भवती के लिए काफी खतरनाक होता है।

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शिशु का विकास

गर्भवती महिलाओं के लिए दीवाली के पटाखों से निकलने वाली गैस कई मायनों में खतरनाक हो सकती हैं। महिला के सांस के जरिए अंदर जाने वाली ये गैसें पैदा होने वाले शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा बन सकती हैं।

दिल की बीमारियां

पटाखों से निकलने वाली हानिकारक गैसों के कारण दिल की बीमारियों की आशंका भी काफी बढ़ जाती है। जो लोग पहले से दिल के मरीज हैं, पटाखों की तेज आवाज के कारण उन्हें दिल का दौरा भी पड़ सकता है और हानिकारक गैसों के कारण सांस रुकने जैसी समस्या हो सकती है।

फेफड़ों का कैंसर

पटाखों में पोटैशियम क्लोरेट का काम तेज रोशनी को पैदा करना होता है। लेकिन इसके इस्तेमाल से हवा जहरीली हो जाती है। इस केमिकल से निकलने वाला धुआं शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है इसका सबसे ज्यादा असर फेफड़ो पर दिखाई देता है। अगर पहले से ही किसी को सांस संबंधित बीमारी है तो उसको और भी अपनी देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।

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