Election2019: महागठबंधन को लेकर तेजस्वी और कन्हैया की दोस्ती क्यों नहीं और पक्की हो सकी?

पटना। दो साल पहले JNU में हुए विवाद के बाद युवाओं के बीच राजनीतिक चेहरे के रुप में सामने आए कन्हैया कुमार के लिए ये अनुमान लगाया जा रहा था कि उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 में बेगुसराय सीट से महागठबंधन उम्मीदवार घोषित करेगा लेकिन बिहार में महागठबंधन ने सीटों का ऐलान कर दिया जिसमें राष्ट्रीय जनता दल 20 सीटों पर, कांग्रेस 9 सीटों पर, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी 5 सीटों पर, विकासशील इंसान पार्टी 3 सीटों पर और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

पिछले कुछ समय से कन्हैया कुमार और तेजस्वी के बीच नज़दीकियां बढ़ती दिख रही थीं जिसके कारण उम्मीद लगाई जा रही थी कि महागठबंधन में कन्हैया कुमार को शामिल किया जाएगा और उनकी पार्टी सीपीआई को इसमें जगह दी जाएगी। लेकिन आखिरी मौके पर ऐसा नहीं हो सका। ऐसे में यह प्रश्न उठने लगा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से कन्हैया को गठबंधन में जगह नहीं मिल सकी?

सियासी गलियारों में लोग इसकी एक वजह तेजस्वी यादव के मन में असुरक्षा की भावना मान रहे हैं क्योंकि अगर कन्हैया युवाओं की पहली पसंद बन गए तो तेजस्वी के राजनीतिक करियर पर संकट मंडरा सकता था। क्योंकि कोई भी पार्टी अपने पसंद का नेतृत्व देखना चाहती है। कन्हैया के आने के बाद मामला कन्हैया बनाम तेजस्वी का भी बन सकता था। राजनीति में यह भी देखा जाता है कि आप किसको साथ लेकर चल रहे हैं और आने वाले समय में उसका क्या परिणाम होगा।

सुर्ख़ियों से आगे : क्या भविष्य और अतीत में जाना संभव है?

बेगसूराय में भूमिहार जाति का वोट बैंक निर्णायक भूमिका में होता है। भोला सिंह इसी जाति से संबध रखते थे और उनकी मृत्यु पिछले साल अक्तूबर के महीने में हो गई थी। भोला सिंह बीजेपी से पहले सीपीआई में थे इन सभी का फायदा भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में मिला था। इसलिए इस बार यहां की सीट पर भाजपा से कांटे की टक्कर हो सकती है। हालांकि राजद ने अपने कोटे से सीपीआई को एक सीट देने की बात कही है।

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