धुरंधर राजनीतिज्ञों समेत अधिकारियों की गर्दन में पड़ा ED का फंदा, तेज हुई जांच  

प्रवर्तन निदेशालयनई दिल्ली। कालेधन और जमाखोरी पर नकेल कसने के उद्देश्य से उठाए गए कदम नोटबंदी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक मुहीम छेड़ दी। इसके चलते दिग्गज राजनीतिज्ञों से लेकर कई अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। बता दें रिपोर्ट में शामिल लोगों के खिलाफ तेजी से जांच की जा रही है।

खबरों के मुताबिक़ ईडी की रिपोर्ट में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमों मायावती, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सांसद मीसा यादव, खनन उद्यमी और तमिलनाडु की राजनीति में गहरी पैठ रखने वाले शेखर रेड्डी समेत दर्जनों नेताओं के पैसे के संदिग्ध लेन-देन का ब्यौरा है।

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इन नेताओं के साथ ही दो दर्जन से अधिक अफसरशाह और निजी व्यक्तियों के खिलाफ जांच की जा रही है।

बता दें डोजियर में जितने नाम आए हैं, सबको अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका दिया जाएगा।

ईडी मौजूद सुबूतों के आधार पर अपना पक्ष मजबूत कर रही है। कालेधन के खिलाफ इसे बड़ी मुहीम माना जा रहा है।

उधर सीबीआई ने भी नोटबंदी के बाद कालेधन की हेराफेरी के मामले में अबतक 77 एफआईआर दर्ज की हैं।

इनमें 180 सरकारी कर्मचारियों समेत 307 लोगों के खिलाफ जांच चल रही है। ईडी सीबीआई के इन केसों से जुड़े फेरा और फेमा संबंधी अपराधों की अलग से जांच करेगा।

ईडी डोजियर के मुताबिक कालेधन को सफेद करने के 4000 ठोस मामले सामने आए हैं। ईडी ने नवंबर 2016 से सितंबर 2017 के बीच इन सभी मामलों में फेमा और पीएमएलए के तहत केस दर्ज किया है।

ईडी के मुताबिक एजेंसी को अब तक 11000 करोड़ रुपए के हेरफेर का सबूत मिला है। इस मुहीम में ईडी ने अबतक 800 रेड की हैं जिनमें देश और विदेशों के मनी ट्रांस्फर चैनल के सुराग मिले हैं।

ईडी ने इस सिलसिले में अब तक 54 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि करीब 600 कंपनियों से उनके धंधे का ब्यौरा मांगा गया है।

ईडी के उच्चपदस्थ अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि इस गोरखधंधे में संयुक्त अरब अमीरात, दुबई, मलेशिया और हांगकांग जैसे कई देशों के मनी चैनल का इस्तेमाल किया गया है।

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ईडी ने अन्य सरकारी एजेंसियों की मदद से इन देशों को धन की आवाजाही की जानकारी देने के लिए अनुरोध पत्र (लेटर रोगेटरी) भेजा है।

डोजियर के मुताबिक नोटबंदी के तुरंत बाद कालेधन को सफेद करने का बड़ा तंत्र सक्रिय हो गया। स्टॉक मार्केट, खनन व्यापार, शेल कंपनी और सहकारी संस्थानों का जमकर इस्तेमाल किया गया।

बताया जा रहा है कि इसमें बैंकिंग चैनल का भी इस्तेमाल हुआ है जिसकी जांच चल रही है। साथ ही नोटबंदी के बाद विदेशी मुद्रा विनिमय की पड़ताल भी की जा रही है।

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