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नई दिल्ली। एक कैंडिडेट और एक सीट का समर्थन करते हुए चुनाव आयोग ने भी अपना कदम आगे बढ़ा दिया है। आयोग ने बुधवार को इस बात का समर्थन करते हुए कोर्ट में ऐफिडेविट दाखिल कर दिया है। समर्थन के पीछे आयोग का मत यह है कि जब एक कैंडिडेट चुनाव में दो जगहों से खड़ा होता है तो दोनों ही सीटों पर जीत हासिल करने की परिस्थिति में एक सीट से उसे इस्तीफा देना होता है। ऐसे में जो सीट खाली होती है उसके लिए दोबारा चुनाव प्रक्रिया गठित करनी पड़ती है। इसके कारण चुनावी प्रक्रिया में अतिरिक्त खर्च जुड़ जाता है।

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चुनाव आयोग

बता दें ‘वन कैंडिडेट वन सीट’ का फॉर्म्युला लागू करने लिए वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका डाल रखी है। इससे पहले 2204 और 2016 में इसके संबंध में प्रस्ताव भी दिया गया था।

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अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में कहा है कि लोकतंत्र का यही तकाजा है कि एक प्रत्याशी एक जगह से चुनाव लड़े।

दो जगह से चुनाव जीतने के बाद एक सीट खाली करनी होती है और उपचुनाव होने पर सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है।

खबरों के मुताबिक़ इस याचिका के तहत लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) को चुनौती दी गई है। साथ ही मांग की गई है कि संसद और विधानसभा समेत सभी स्तरों पर एक उम्मीदवार के दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए।

चुनाव आयोग भी याचिकाकर्ता की इस मांग से सहमत है। चुनाव आयोग इससे पहले भी इस फॉर्म्युला को अपना समर्थन दे चुका है।

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