DRDO ने बनाई कार्बाइन, एक मिनट में दागेगी 700 गोलियां

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन {DRDO} ने अचूक मारक क्षमता वाली कार्बाइन के फाइनल ट्रायल को भी पूरा कर लिया है। डीआरडीओ के अनुसार यह अब सेना के उपयोग के लिए हर तरह से तैयार है।

आप को बता दें कि इस कार्बाइन को DRDO की पुणे लैब और कानपुर की आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने मिलकर बनाया है। DRDO ने कहा कि इस कार्बाइन के निर्माण से सीआरपीएफ और बीएसएफ की तरह राज्य की केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों {CAPF} के शस्त्रागार का आधुनिकीकरण करने में भी मदद मिलेगी।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार 5.56×30 मिमी प्रोटेक्टिव कार्बाइन का गर्मियों में उच्चतम तापमान और सर्दियों में रक्षा मंत्रालय के अनुसार 5.56×30 मिमी प्रोटेक्टिव कार्बाइन का गर्मियों में उच्चतम तापमान और सर्दियों में हाई एल्टीट्यूट वाले क्षेत्रों में परीक्षण की एक श्रृंखला का यह अंतिम चरण था। जॉइन्ट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन ने शानदार मारक क्षमता और सटीक निशाने के कड़े  मानदंडों को पूरा किया है।

जेवीपीसी को कभी-कभी मॉडर्न सब मशीन कार्बाइन (MSMC) भी कहा जाता है जो 700 राउंड प्रति मिनट की दर से फायर कर सकती है। इस हथियार का प्राथमिक उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाए बिना टारगेट पर हमला करना है।इस कार्बाइन के लिए गोलियां पुणे की एम्यूनेशन फैक्टरी में तैयार होंगी।

कार्बाइन एक ऐसा हथियार है, जिसमें राइफल की तुलना में छोटा बैरल होता है। इसे भारतीय सेना के जवानों की आवश्यकताओं  के अनुसार डिजाइन किया गया है जिससे वे दुश्मनों को पटखनी दे सके।

1980 के आखिर में ARDE (Armament Research & Development Establishment) ने 5.56 x 45 mm क्षमता के छोटे हथियारों को बनाना शुरू किया था जिसे बाद में INSAS (Indian Small Arms System) नाम दिया गया। हथियारों के इस श्रेणी में राइफल, लाइट मशीन गन (LMG) के साथ-साथ इनके गोला-बारूद और सामान भी शामिल थे।

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