अमावस्या के दिन इस तरह करें पूजा, मिलेंगे चमत्कारिक प्रमाण

धार्मिक और शास्त्रों के अनुसार हर महीने की कृष्ण पक्ष को अमावस्या मनाई जाती है। यह तिथि हर महीने बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रेत आत्माएं ज्यादा सक्रिय होती है। इस दिन कोशिश करनी चाहिए कि बुरी शक्तियों और बुरी चीजों से दूर रहना चाहिए। इस दिन विशेष धार्मिक कार्य और मंत्र का जाप, पूजा पाठ करने का विधि विधान है।

अमावस्या

भाद्रपद महीने की अमावस्या इस बार शनिवार, 09 सितंबर यानी कि आज मनाई जा रही है। पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन पितृ तर्पण, स्नान-दान आदि करना बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है।

अमावस्या का महत्व

ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से यह तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिये बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। भारत का प्रमुख त्योहार दीपावली अमावस्या को ही मनाया जाता है। सूर्य पर ग्रहण भी इसी तिथि को लगता है। कोई जातक यदि काल सर्पदोष से पीड़ित है तो उससे मुक्ति के उपाय के लिये भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है।

ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है।

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क्या करें

इस दिन पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। बाद में इस पेड़ की परिक्रमा करके गरीबों को भोजन करवाना चाहिए।

इस दिन पिंडदान करने की भी विशेष मान्यता है।

अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिए।

इस सुबह-सुबह सूर्य देवता तो जल अर्ध करना शुभ माना जाता है ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर होती है।

जिनकी कुण्डली में पितृ दोष हों, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहु निम्न भाव में स्थित हो, उन्हें यह उपवास अवश्य रखना चाहिए। इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य की प्राप्ति होती है।

जिन लोगों की कुण्डली में चंद्रमा कमजोर होता है उन्हें इस दिन उपवास जरूर रखना चाहिए।

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