कैसे जगमगाएगी Diwali ? सरसों तेल बिना कैसे जलेगा दीपक, बिजली बिल पहले ही दे रहा करंट

दीपावली के त्योहार को लेकर महज कुछ ही दिन बचे हुए हैं। दीपावली का त्योहार आने के साथ ही कुम्हार उत्साहित दिखाई देते हैं और बड़ी संख्या में दीपकों का निर्माण शुरु हो जाता है, लेकिन इस बार दोनों ही बातों में कमी है। बीते कुछ सालों से बाजार में आई आकर्षक लाइट्स की वजह से दीपकों बाजार पहले से ही बदहाली झेल रहा है। लेकिन इस साल बढ़े सरसों तेल के दाम दीपक को और भी महंगा कर रहे हैं। इसे लेकर कुम्हार काफी हतोत्साहित दिखाई दे रहे हैं। उनका यही सवाल है कि पहले से ही बदहाली झेल रहे इस कारोबार में जब तेल के दाम इतना बढ़ गए है तो कोई दीपक जलाएगा ही क्यों?

दीपावली के त्योहारो के लेकर लोग खरीददारी कर रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल है कि प्रकाश के पर्व में इस बार हर तरह से लोगों को घरों को प्रकाशित करने में ज्यादा कीमत चुकानी होगी। पहले ही जहां बिजली का बिल लोगों को करंट दे रहा था तो वहीं अब लोग यह सोच रहे हैं कि सरसों के तेल के दीपक जलाए भी तो कैसे? जहिर तौर पर यह समस्या बाजारों में भी दिख रही है।

सरसों तेल विक्रेता बताते हैं कि पिछले साल दीपावली में सरसों के तेल में तेजी थी। भाव 110 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 140 रुपए प्रति किलो पहुंच गया था। लेकिन इस बार तो लोगों के इसी एक लीटर तेल के लिए तकरीबन 200 रुपए तक चुकाने पड़ेंगे। लगातार बढ़ती तेल की कीमते कहीं न कहीं दीपावली पर होने वाली दीपकों की रौशनी को कमजोर करती हुई दिखाई देंगी।

जहां एक ओर लोगों का कहना है कि सालभर के इस त्योहार पर महंगाई का ज्यादा असर तो नहीं पड़ेगा, वहीं गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार इस जवाब से नाखुश दिखाई देता है। साफतौर पर लोग कहते हैं कि कोरोना के बाद कारोबार और नौकरी में बीते दिनों जो बदहाली हुई उसके बाद वह पहले से ही टूट चुके हैं। बावजूद इसके जब उन्हें अपनी आवश्यकताओं की चीजों के लिए ही ज्यादा मूल्य चुकाना होगा तो उनकी जेब पर असर पड़ेगा। यह असर इसलिए भी इस बार ज्यादा भारी है क्योकि जेब पहले से ही खाली हो चुकी है।

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