दीवाली मूर्ति और मूर्तिकार की पीड़ा, खास रिपोर्ट

रिपोर्ट—शादाब
शाहजंहापुर। आमतौर से दीपावली आने से पहले कुम्हारों और मूर्ति कारों में उम्मीदों की खुशियां जाग जाती थी लेकिन चाइनीस मूर्तियों और बिचौलियों के शामिल होने से मूर्ति कारों के चेहरे दीपावली आने से पहले ही मायूस हैं।

कुम्हारों और मूर्ति कारों में उम्मीदों

आप जिन मूर्तिकारों को देख रहे हैं यह वह मूर्तिकार है जिन्होने बचपन से ही मूर्तियो को बनाकर अपने हुनर का लोहा मनवाया है। दीपावली आने से 3 महीने पहले ही पूरा घर मूर्तियां बनाने में जुट जाता था लेकिन प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां और चाइनीस आइटमो के आने से इन मूर्ति कारों की मूर्तियां अब कोई पूछ नहीं रहा है।

वहीं लोगों से कर्ज लेकर मूर्तियां बनाने वाले यह मूर्तिकार सारी इनकम बिचौलिए ले जा रहे हैं, दुकानदार इनकी बनी मूर्तियां खरीदकर तीन गुने दामों में बेच कर भारी मुनाफा कमाते हैं और यह हर बार की तरह अपनी लागत भी नही निकाल पाते।

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गणेश लक्ष्मी को बनाने वाले मूर्तिकारो के बच्चे भी अब मायूस है उनका कहना है कि लगातार महंगाई के चलते मिट्टी रंग और लकड़ी और कंडो की महंगाई ने कमर तोड़ दी है। इनके हुनर मन्द बच्चे अब इस काम को छोड़कर पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन वहां भी इनको रोजगार नहीं मिल पा रहा है।

आमतौर से सरकारे ने इन मूर्ति कारों के हुनर को बढ़ावा नहीं दे रही है। जबकि विदेशों में इन जैसे मूर्तिकारो को नई तकनीकी की चीजो सीखा कर मूर्तियों में नई तकनीकी तब्दील की है। जिसके चलते विदेशों में बने मूर्तियों, कला कृतियो लोगों के घरों में शोपीस बनती है। जिसके चलते विदेशों के मूर्तिकार मालामाल हो रहे हैं।

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जबकि प्रदेश के कुम्हार और मूर्तिकार मुफलीसी के हालात में जी रहे हैं। यह हाल तब है, जब प्रदेश की सरकार हर जिले में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के नाम से योजनाएं चलाकर इन जैसो हुनरमन्दो को लाभान्वित करने की योजनाएं बनाकर प्रचार प्रसार कर रही है।

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