बीजेपी के लिए मनहूस होगी कर्नाटक में जीत! आंकड़े दे रहे 2019 हारने की गवाही

नई दिल्ली। कर्नाटक में चुनाव के नतीजे कुछ ही देर में सबके सामने आ जाएंगे। 222 सीटों पर हुए चुनावों के लिए आए रुझानों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी उभरकर आई है। बीजेपी बहुमत से दूर है लेकिन 100 से ज्यादा सीटों पर आगे है। हालांकि बहुमत से दूर है। उधर कांग्रेस को 70 जबकि जेडीएस को 39 सीटें मिलती नज़र आ रही हैं। कोई शक नहीं कि कर्नाटक में चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी सबसे पहले दम दिखाएगी। अगर बात करें कर्नाटक में चुनाव के बाद सरकार बनने की तो बीजेपी के लिए यह जीत मनहूस साबित हो सकती है।

कर्नाटक में चुनाव

कर्नाटक के चुनावी इतिहास पर नज़र डालें तो बीते दो दशक इस बात की गवाही देते हैं कि जिसने भी कर्नाटक में सरकार बनाई उससे दिल्ली की सल्तनत छिन गई। इस नाते ये जीत पीएम नरेंद्र मोदी के लिए 2019 की राह में मुश्किलें भी डाल सकती है।

आंकड़ें दे रहे गवाही

साल 2013 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार बनाई लेकिन 2014 लोकसभा चुनावों में उसे इतिहास की सबसे बड़ी हार का समाना करना पड़ा।

2013 कर्नाटक चुनावों में बीजेपी को 224 में से 40 सीट ही मिली थीं, जबकि लोकसभा 2014 में सिर्फ एक साल बाद ही उसने 28 लोकसभा सीटों में से 17 पर कब्जा जमाया।

बीते दो दशक इस बात की गवाही देते हैं कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जीतने वाली पार्टी को दिल्ली की गद्दी नसीब नहीं होती।

2008 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो तब राज्य में बीजेपी ने पहली बार सरकार बनाई थी। हालांकि बीजेपी को 2004 के बाद लगातार 2009 लोकसभा चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ा।

2004 के कर्नाटक चुनाव में जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) आई तो उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में जेडीएस को बुरी हार मिली। थोड़ा और आगे जाएं तो साल 1999 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार बनाई थी हालांकि 1999 के लोकसभा चुनाव में उसकी हार हुई।

साल 1994 की कहानी भी कुछ ऐसी ही है तब जेडीएस ने कर्नाटक में सरकार बनाई लेकिन साल 1998 के लोकसभा चुनाव में वो हार गई। इससे पहले 1989 में भी कांग्रेस कर्नाटक में जीती थी लेकिन साल 1989 में लोकसभा चुनावों में उसे हार का सामना करना पड़ा।

अमित शाह ने बताया अंधविश्वास

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से वोटिंग से एक दिन पहले जब इस बारे में सवाल पूछा गया था तो उन्होंने इसे कोरा अंधविश्वास करार दिया था। शाह ने कहा था कि बीते 20 सालों को सिर्फ संयोग माना जाना चाहिए।

साभार: न्यूज़ 18

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