
नई दिल्ली। एक साल पहले सरकार ने डीजल और पेट्रोल को लेकर बड़े-बड़े वादे किए थे। सरकार ने अपने वादे के साथ 16 जून को डायनैमिक प्राइसिंग को देश में लागू किया था।
इसके साथ सरकार ने यह भरोसा भी दिलाया था कि आने वाले समय में डीजल और पेट्रोल की दरे कम हो जाएंगी और इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
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मगर अब लगता है कि सरकार को अपने किए हुए वादे याद ही नहीं है। तभी तो दिन-प्रतिदिन डीजल-पेट्रोल के दामों में हो रही बढ़ोतरी को सरकार लगातार नजरअंदाज कर रही हैं।
हर दिन बढ़ते दामों को लेकर लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा में सरकार का कोई भी एक्शन ना लेना घोर निंदा का विषय हैं।
आपको बता दें कि 2014 के बाद से अबतक पेट्रोल और डीजल अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका है। मुंबई में जहां लोग 79 रुपए में पेट्रोल खरीद रहे हैं वहीं दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल की कीमत 70 रुपए है।
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें पिछले तीन साल के दौरान 50 फीसदी से ज्यादा कम हो गई हैं, लेकिन इसी दौरान भारत में लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है।
ऑयल कंपनियों के स्तर पर 31 रुपए में 1 लीटर पेट्रोल तैयार हो जाता है। इसके बाद उस पर केंद्र सरकार की तरफ से टैक्स वसूला जाता है। इसका मतलब है कि आप 48 रुपए से ज्यादा तो सिर्फ टैक्स दे रहे हैं। साल 2014 से अब तक केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 126 फीसदी बढ़ा दी है। वहीं, डीजल पर लगने वाली ड्यूटी में 374 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।
ऐसे में आम आदमी को हर दिन डीजल-पेट्रोल के बढ़ते हुए दामों को लेकर झटका लग रहा है। डीजल के बढ़ते दामों का असर उन पर ज्यादा पड़ेगा जो मालभाड़े की ढुलाई करने वाले वाहन जैस की ट्रक, मिनी ट्रक, टेम्पो ,ऑटो का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में दूरदराज के क्षेत्रों से फल, सब्जी, दूध की सप्लाई और अन्य चीजों पर भी जबरदस्त असर पड़ेगा। इसके अलावा प्राइवेट बसों के किराए में भी बढ़ोतरी होगी।
साथ ही महिने से पहले बजट बना लेने वाले आम आदमी के जेबों पर भी मार होगी। अब देखना यह होगा कि आखिर कब तक सरकार इस समस्या को नजरअंदाज करेगी और चुप्पी साधी रहेगी।