देवशयनी एकादशी व्रत से पूरे होंगे रुके काम, मिटेंगे सारे दुःख

भारत देश हमेशा से त्योहारों का देश रहा है हर दिन कोई न कोई त्यौहार रहता ही है। इसी कड़ी में हम आपको बताने जा रहें हैं एक  व्रत के बारे में, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहते हैं  जो लोग एकादशी व्रत का नियम से पालन करते हैं, उन पर प्रभु सदा प्रसन्न रहते हैं।

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शास्त्रानुसार प्रत्येक मास के दो पक्षों में दो-दो एकादशियां यानि साल भर के 12 महीनों में 24 एकादशियां आती हैं, परंतु जो मनुष्य इस अतिमहत्वपूर्ण देवशयनी एकादशी का व्रत करता है अथवा इसी दिन से शुरु होने वाले चार्तुमास के नियम अथवा किसी और पुण्यकर्म करने का संकल्प करके उसका पालन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। उसका जीवन सुखमय हो जाता है और जीव को अक्षय फल की प्राप्ति भी होती है। इसी कारण इन चार महीनों में किए गए पुण्य कर्मों का फल सबसे अधिक होता है और सभी सुखों को भोगता हुआ जीव अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। जिस कामना से कोई इस व्रत को करता है, वह इच्छा अवश्य पूरी होती है। इसी कारण इसे मनोकामना पूरी करने वाला व्रत भी कहा जाता है।

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हिन्दू धर्म में चार्तुमास में किए गए व्रत और पुण्यकर्म बहुत ज्यादा महत्व रखते हैं। ये चार मास है सावन , भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक। देवशयन एकादशी से ही इन चार्तुमास की शुरुआत होती है। इस बार चतुर्मास 23 जुलाई से 18 नवम्बर तक रहेगा। कहा जाता है कि इन चार माह के लिए भगवान् श्रीहरि विष्णु शीत निद्रा में चले जाते हैं, इसलिए इन चार महीनों में कोई भी शुभ काम करने की मनाही है।

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