भारत सरकार के संदेश पर सख्त हुआ योगी का विभाग, संस्था से मांगा ब्यौरा

रिपोर्ट- राजन गुप्ता

मिर्जापुर। जिले के भरुहना में स्थित महादेव शिशु गृह एक बार फिर सुर्खियों में है। बंद हो चुके इस शिशु गृह के बारे में मीडिया में  खबर आई कि इस  संस्था से कुछ बच्चे लापता है। हालांकि अधिकारियों ने जाँच के बाद इस तरह से किसी भी बच्चे के लापता होने से इनकार कर रहे है। इस संस्था में कुल 46 बच्चे थे जिनका पूरा विवरण विभाग के पास मौजूद है।

sishu greh

महादेव शिशु गृह के  बारे में शिकायत मिलने के बाद पूरे मामले पर जाँच के लिए अजय तिर्की सचिव भारत सरकार ने अगस्त में एक पत्र महिला कल्याण व बाल कल्याण विभाग को लिखा। जिस पत्र को संज्ञान लेकर महिला कल्याण और बाल कल्याण विभाग कि अपर सचिव रेणुका कुमार ने पूरे मामले में जिला प्रसाशन से पांच सितंबर को पत्र भेज कर तीन दिनों के भीतर पूरी स्थिति पर आख्या माँगी। डीएम के पास लखनऊ से पत्र आने के बाद एक बार फिर हड़कंप मच गया। जिला प्रोवेजनल अधिकार समेत सभी अधिकारी संस्था कि रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजने कि तैयारी में जुटे है।

दरअसल यह संस्था पहले भी विवादों में रह चुकी है। मगर संस्था से बच्चों के लापता होने कि बात को अधिकारी खण्डन कर रहे  है। जिला प्रोवेजनल अधिकारी अमरेंद्र कुमार के अनुसार इस संस्था में कुछ 46 बच्चे संस्था के 23 सितम्बर 2014 से शुरू होने से लेकर और 24 फरवरी 2018 को बंद होने तक मौजूद रहे। जिनमे से विभाग  द्वारा 23 सितम्बर 2014 को पहला बच्चा संस्था में दिया गया था।

कुल 46 बच्चो में 15 बच्चो को कोर्ट के माध्यम से गोद लिया गया है। इसके साथ  15 बच्चो की मौत संस्था के अंदर हुई है। संस्था से 2 बच्चो को परिवार द्वारा दावा किये जाने के बाद उनके परिवार को सौप दिया गया है। 24 फरवरी को संस्था के बंद होने के बाद इस संस्था से 9 बच्चो को राजकीय शिशु गृह लखनऊ स्थानांतरित किया गया। इस संस्था के 5 बच्चे अभी भी प्री एडॉप्शन प्रक्रिया में है। इनके गोद लिए जाने की प्रक्रिया कोर्ट में विचाराधीन है।

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बतादे कि 10 जनवरी 2018 को इस संस्था में आशीष नाम के एक बच्चे कि बीमारी से मौत होने के बाद शिकायत पर सचिव महिला कल्याण व बाल विकास और तत्कालीन जिला अधिकारी विमल दूबे ने जांच किया था। जिस पर वहां पर गंदगी और रख रखाव के उचित प्रबंध नहीं होने कि रिपोर्ट के बाद 24 फरवरी 2018 को जिला प्रोवेजनल अधिकारी ने इस संस्था को बंद करने का आदेश दे दिया।

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