CoronaVirus: एक बार फिर राहुल गांधी ने उठाए पीएम मोदी पर सवाल, कहा-चिकित्सकों को ताली की नहीं…

कोरोना वायरस का भारत पर कहर थमने का नाम नहीं ले रहा. जहां एक तरफ सरकार पूरी कोशिश में लगी है कि इसको और फैलने से रोका जाए वहीं दूसरी ओर विपक्ष की पार्टियां उनपर सवाल खड़े कर रहीं है. इस दौरना कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार की इन तैयारियों पर सवाल करते हुए कहा कि इस वायरस के खतरे को पहले ही गंभीरता से लेना चाहिए था. उन्होंने मास्क एवं ग्लव्स की कमी से जुड़े, एक चिकित्सक के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘मुझे दुख हो रहा है क्योंकि इस स्थिति से बचा जा सकता था.’

 

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गांधी ने कहा, ‘हमारे पास तैयारी का समय था. हमें इस खतरे को ज्यादा गंभीरता से लेना चाहिए था और बेहतर तैयारी कर लेनी चाहिए थी.’ पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस चिकित्सक के ट्वीट का हवाला देते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, कोरोना वायरस से लड़ने की आपकी रणनीति में यही गलती है. चिकित्सकों एवं नर्सों को ताली नहीं, स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़े उपकरणों की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि सरकार को चिकित्सा कर्मियों की आवाज सुननी चाहिए.

इससे पहले शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के काम में लगे लोगों की सराहना करने के लिए ताली बजाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के कारण लोग इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की गंभीरता को समझ नहीं रहे. पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा गया है कि देश के लोग किसी चीज को तभी गंभीरता से लेते हैं जब उसे लेकर भय या आतंक महसूस हो.

मराठी दैनिक में कहा गया, “जब लोगों में डर बढ़ने लगा था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से स्वास्थ्य कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए बालकनी में निकल कर ताली और थाली बजाने के लिए कहा.” इसमें कहा गया कि अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए लोग बड़ी संख्या में बाहर आए और सड़कों पर नाचने लगे जिससे स्थिति “उत्सव” जैसी लगने लगी. उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कहा, “इस पूरे मुद्दे को किसने गैर-गंभीर नजरिया दिया? राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और नारेबाजी करने लगे. हमने निषधाज्ञाओं का उल्लंघन किया. यह नागरिकों का कर्तव्य है कि वे बंद के संबंध में राज्य सरकार के आदेश का पालन करें.”

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