UP की इस जगह पर सूर्य मंदिर और छठ पूजा के बीच का कनेक्शन जरूर समझे

रिपोर्ट- रवि पांडे

सोनभद्र की सीमा बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से लगे होने की वजह से यहां भी छठ पूजा विशेष तौर पर मनाया जाता है। झारखण्ड और यूपी की सीमा को बांटने वाली नदी सतत  वाहिनी नदी व कुकुर डूबा नदी के किनारे स्थापित सूर्य मंदिर सोनभद्र समेत झारखंड बिहार छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के लिए श्रद्धा भक्ति व विश्वास का प्रतीक बन गया है।

छट्ठ पूजा

यहां पर दूर दराज से आने वाले लोग आते हैं और छठ महापर्व करके सुख शांति की कामना करते हैं सूर्य मंदिर की शक्ति इतनी है कि यहां सालों साल भक्तों का ताता बढ़ता जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि दो नदियों के संगम स्थल पर छठ महापर्व करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है।

सन क्लब के संयोजक का कहना है कि दो नदियों के संगम पर सूर्य मंदिर होने की वजह से छठ पूजा की महत्ता बढ़ जाती है। वही सूर्य मंदिर की महत्ता बताते हुए पुजारी का कहते है कि सूर्य मंदिर में छठ पूजा करने वालो की हर मनोकामना पूर्ण होती है वैसे भी यह स्थान सिद्ध माना गया है इसके साथ ही इस मंदिर में अनके देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित है।

झारखंड उत्तर प्रदेश की सीमा पर  स्थित सोनभद्र जिले के विंढमगंज गांव  में  सूर्य मंदिर की स्थापना और यहां छठ पूजा का इतिहास बहुत पुराना है । जैसा की  इतिहास के बारे में लोग बताते हैं कि 1902 ईस्वी में जब अंग्रेज अधिकारी विंढम साहब ने विंढमगंज को बसाया था तब बिहार के पटना से काफी लोग यहां आकर बस गए वर्ष 1902 से ही यहां पर छठ महापर्व का आयोजन होता रहा है।

वर्ष 1950 के आसपास जब राम मंदिर का निर्माण किया गया था तो उसी मंदिर में सूर्य भगवान की छोटी सी प्रतिमा स्थापित की गई थी यहां पर लोग छठ महापर्व करने के बाद दर्शन करने के लिए आते रहे हैं ऐसी मान्यता रही है कि यहां पर छठ करने से सारी मनोकामना खासतौर पर पुत्र प्राप्ति की मन्नत पूर्ण होती है इसकी प्रसिद्धि धीरे-धीरे पूरे इलाके में फैल गई है लिहाजा यहां पर लोग दूर दूर से आने लगे हैं वर्ष 2000 में संकल्प सोसायटी ने सूर्य मंदिर का निर्माण की आधारशिला रख दी लोगों से चंदा लेकर यहां पर भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करा दिया और सूर्य भगवान की भव्य प्रतिमा राजस्थान से मंगा कर उसने स्थापित करा दिया।

तभी से यहां जिले का महत्वपूर्ण स्थान बन गया है छठ महापर्व पर जिले में सबसे ज्यादा भीड़ इसी मंदिर पर होती है लोगों की मान्यता है कि यहां भगवान शिव की मूर्ति अद्वितीय है ऐसी मूर्ति क्षेत्र में कहीं नहीं है इस मंदिर की प्रतिष्ठा दूर दूर तक है।

लोगों की मान्यता है कि जो सच्चे मन से यहां पर छठ महापर्व करता है उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है खासतौर पर पुत्र प्राप्ति की कामना करने वाले श्रद्धालु झारखंड बिहार छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से यहां आते हैं छठ महापर्व पर इस मंदिर पर होने वाली मां आरती आकर्षण होती है इसमें 5000 से अधिक श्रद्धालु भाग लेते हैं अध्यक्ष रमेश चंद कुशवाहा ने बताया कि छठ पर्व पर यहां श्रद्धालु आकर भगवान सूर्य की आराधना करके अपनी मन्नत मांगते हैं और पूरा होने के बाद अगले वर्ष छठ पर गाजे बाजे के साथ पूजा करते हैं।

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इस मंदिर की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए मंदिर के पुजारी हृदयानंद चौबे ने बताया कि यह सूर्य मंदिर दो नदियों के संगम स्थल में स्थित है जिसके कारण यहाँ छठ पूजा करने वालो की हर मनोकामनाये पूर्ण होती है। यह सिद्ध स्थान है। इस मंदिर प्रांगण में अनेक देवी देवताओं का मंदिर है अर्थात चारो तरफ मंदिरों और देवी देवताओं का समागम है।

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