मरीज को बचाने के लिए जूनियर ने किया डॉक्टर को फोन, जवाब सुनकर शर्म आ जाएगी

रिपोर्ट: अंशुल जैन

बदायूं: योगी सरकार प्रदेश के सबसे बीमार स्वास्थ्य विभाग को ठीक करने के बड़े बड़े दावे कर रही है. प्रदेश सरकार करोड़ों रूपए विज्ञापन पर खर्च कर जनता को बता रही है कि बीमार स्वास्थ्य विभाग अब स्वस्थ्य हो गया है. लेकिन इस घटना की असलियत जान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी शर्म आ जायेगी.

बदायूं जिला अस्पताल का एक ऑडियो वायरल हुआ है. इस ऑडियो में एमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात एक जूनियर डॉक्टर मरते मरीज़ को बचाने के लिए जिला अस्पताल के प्रभारी और वरिष्ठ सर्जन को बार बार बुला रहा है और जिला प्रभारी मरते मरीज़ का अंगूठा लगवा कर उसे हाई सेंटर रिफर करने की बात कह रहा है.

बीमार स्वास्थ्य विभाग
जूनियर डॉक्टर नितिन कुमार

मामला बीती 27 अप्रैल का है जब जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में जूनियर डॉक्टर नितिन कुमार रात की ड्यूटी कर रहे थे. तब आधी रात के समय एक लड़की गंभीर हालत में इमरजेंसी में पहुंची. लड़की की हालत बेहद खराब थी. डॉक्टर नितिन से जो बनता था वह इलाज उन्होंने किया लेकिन लड़की की हालत बिगड़ती चली गयी. तब डाक्टर नितिन ने जिला अस्पताल के चिकित्साधीक्षक और वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर आरएस यादव को फोन लगाया. नितिन ने मरीज़ की हालत का हवाला देकर डॉक्टर यादव को इमरजेंसी में अस्पताल आने की गुजारिश की.

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डॉक्टर नितिन ने बार बार फोन पर कहा कि लड़की की हालत बहुत खराब है और उसके परिजन बवाल खड़ा कर रहे हैं लेकिन निर्दयी आरएस यादव ने आने से ना सिर्फ साफ़ साफ़ मना कर दिया बल्कि मरती हुई लड़की का अंगूठा निशानी लगवाकर उसे हाई सेंटर रिफर करने का भी सुझाव दिया.

नितिन ने सोचा कि डॉक्टर यादव फोन कॉल पर नहीं आ रहे हैं तो शायद लिखित मेमो देकर आ जाएं इसलिए उन्होंने लिखित मेमो लेकर वार्डबॉय को भेजा लेकिन डॉ यादव ने अपने घर के दरवाज़े भी नहीं खोले. वार्डबॉय खाली हाथ लौट आया.

डॉ. नितिन ने यह भी बताया कुछ दिन पहले भी दो घायल मरीज़ इमरजेंसी में आये थे और जब डॉ. यादव को फोन कर बुलाना चाहा तो उन्होंने इंकार कर दिया था.

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यह ऑडियो जब मीडिया के हाथ लगा और मीडिया ने इस पर सफाई मांगी तब भी डॉक्टर यादव का यही कहना था कि अब मैं वरिष्ठ सर्जन नहीं रहा. अब मैं सीएमएस हो गया हूं. अब मैं मरीज़ नहीं देखूंगा.

बीमार स्वास्थ्य विभाग
डॉक्टर आरएस यादव

बदायूं जिला अस्पताल में शासन की तरफ से कोई भी सीएमएस नियुक्त नहीं किया गया है. इसलिए वरिष्ठता के आधार पर डॉ. यादव को ही अस्पताल प्रभारी बना दिया गया है.

जब इस घटना पर ज़िले के मुख्य चिकित्साधिकारी से सफाई मांगी गयी तो उनका साफ़ साफ़ कहना था कि मरते मरीज़ को बचाने के लिए सीएमएस को तुरंत आना चाहिए था. अगर वह नहीं पहुंचे तो उनके खिलाफ नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा जाएगा और उनके खिलाफ कार्यवाई की जायेगी.

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