मोदी की हरी झंडी, अब स्कूलों में पढ़ाया जाएगा वो जो सोचा भी नहीं होगा

नई दिल्ली। भारत में स्कूली शिक्षा में यौन शिक्षा शामिल करने को लेकर लंबे समय तर्क और कुतर्क दिए जा रहे थे। अब मोदी सरकार ने लंबे समय से चली आ रही बहस पर विराम लगा दिया है।

यौन शिक्षा

यौन शिक्षा को देश के स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इस कार्यक्रम की शुरुआत पीएम मोदी द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ के तहत ही शनिवार यानी कि 14 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर से होगी।

स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत ‘रोल प्ले और एक्टिविटी बेस्ड’ मॉड्यूल को बाद में कई चरणों में पूरे देश के स्कूलों में लागू किया जाएगा और इसके लिए खासतौर से प्रशिक्षित शिक्षकों और साथी एजुकेटर (चुने हुए स्टूडेंट) की मदद ली जाएगी।

बता दें कि, इससे पहले ही महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से पांचवीं के बच्चों के लिए कौमार्य और यौन शिक्षा के लिए एक किताब तैयार कराई थी। ‘बाल नचिकेत’ नाम की इस किताब का प्रकाशन भारतीय विचार साधना, पुणे ने किया था।

सरकार की तरफ से बच्चों की दी गई इस किताब को लेकर राज्य की बीजेपी सरकार और शिवसेना आमने सामने आ गई थीं। यौन शिक्षा की किताब को लेकर राज्य के शिक्षामंत्री विनोद तावड़े की आलोचना शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में भी की थी।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने इस पर प्रतिक्रिया में लिखा, ‘यह विनोद तावड़े की नई उपलब्धि है। छात्र परेशान हैं, शिक्षक हैरान हैं और अभिभावक नाराज़ हैं।’

इस पाठ्यक्रम में बढ़ते बच्चों के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओें को शामिल किया जाएगा, जिनमें यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य, यौन उत्पीड़न, गुड टच और बैड टच, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, यौन संबंधों से होने वाले रोग (STD), गैर संक्रामक रोग, चोट और हिंसा आदि शामिल होंगे। करीब 22 घंटे का यह कार्यक्रम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है और इससे करीब 26 करोड़ किशोरों को फायदा मिलेगा।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘यह निर्देश दिए गए हैं कि हफ्ते में एक पीरियड इस कार्यक्रम के लिए हो। इस मॉड्यूल में उपयुक्त तरीके से किशोरों से संबंधि‍त समस्याओं के बारे में बताया जाएगा।’

बीजपुर पूरे देश के 115 ‘आकांक्षी जिलों’ में शामिल हैं, जिनकी पहचान सरकार ने की है। इस कार्यक्रम के तहत सरकार जिलों में हर समय निगरानी के द्वारा विकास कार्य करती है।

अधिकारी ने बताया, ‘पहले चरण में नौवीं से बारहवीं तक के स्टूडेंट्स पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और बाद में इसमें छोटी क्लासेज के बच्चों को भी शामिल किया जाएगा।’ इसके लिए हर स्कूल के दो शिक्षकों का चयन कर उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।

यूपीए के समय में बीजेपी ने किया था विरोध

गौरतलब है कि, यूपीए सरकार में भी इसी तरह का एक कार्यक्रम शुरू किया गया था, लेकिन साल 2005 में बीजेपी नेता वेंकैया नायडू की अध्यक्षता वाली राज्यसभा की समिति ने इसकी आलोचना की थी और इसे ‘चालाकी भरी मीठी भाषा बताया था, जिसका वास्तविक उद्देश्य स्कूलों में सेक्स शिक्षा देना और स्वच्छंदता को बढ़ावा देना है।’

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