
देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने अपने नए कार्यालय का एक साल पूरा होने पर अरुणाचल प्रदेश और असम में चीन की सीमा के पास भारतीय सैन्य ठिकानों का दौरा किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय जवान अपने निश्चय पर अटल हैं। दुनिया की कोई ताकत भारतीय सशस्त्र बलों को अपने कर्तव्य का पालन करने से नहीं रोक सकती है। ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में केवल भारतीय जवान ही अपनी ड्यूटी से परे जाकर सीमाओं की सुरक्षा का साहस रखते हैं।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने बीते दिनों इशारों में चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कि चीन ने कोरोना के बीच एलएसी के उत्तर-पूर्वी बॉर्डर पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की लेकिन हमारे बहादुर जवान अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे।
उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय सशस्त्र बल देश की सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। भारतीय सैन्य बलों के जवान दुनिया की हर चुनौती का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर चुके हैं।
कोलकाता में गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसइ) में बने नौसेना के युद्धपोत आइएनएस हिमगिरि के जलावतरण के मौके पर सीडीएस रावत ने कहा था कि भारत हर चुनौती से निपटने को तैयार है। भारतीय सेनाएं इस तरह के हालात के लिए खुद को तैयार कर चुकी हैं। चुनौती चाहे जमीन पर मिले या हवा में या फिर सागर में। मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि हमारी तीनों सेनाएं तीनों मोर्चे पर एक साथ चुनौतियां मिली तो भी उससे पार पाने और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 1967 के बाद जून 2020 में सामरिक गलवन घाटी में हुई भीषण झड़प में 20 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस झड़प में दोगुनी तादाद में चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे। इसके बाद से भारत और चीन के बीच सीमा पा तनाव बेहद बढ़ गया था। मौजूदा वक्त में दोनों देशों की सेनाएं एलएसी पर डटी हुई हैं। बीते दिनों विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि चीन से हमारे संबंध इस समय सबसे मुश्किल दौर में हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि बीते 30-40 वर्षों में कभी भी दोनों देशों के बीच रिश्ते इतने खराब नहीं थे। एलएसी पर चीनी सैनिकों की आक्रामकता से संबंध और खराब ही होंगे।