कैश की किल्लत झेल रही जनता को RBI का झटका, 6 महीने में निकलेगा सिर्फ 1 हजार

मुंबई। मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी के ऐलान को करीब डेढ़ साल होने जा रहे हैं लेकिन बैंकिंग व्यवस्था अब भी चरमराई हुई है। देश के करीब दस राज्य में ये स्थिति कुछ ज़्यादा ही गंभीर हो गई है। 8 नवम्बर 2016 की आधी रात से चलन में आए नए नोट अब भी आम जनता के साथ ‘सांप सिढ़ी’ का खेल खेल रहे हैं। आज भी लोगों को ATM के सामने नो कैश का बोर्ड टंगा मिल रहा है।

नोटबंदी

इस बीच आरबीआई ने मुंबई के गिरगांव में स्थित सिटी को-ऑपरेटिव बैंक के ग्राहंकों को जोर का झटका दिया है। RBI ने इस बैंक से निकासी पर पाबंदी लगाते हुए ग्राहंकों को 6 महीने में सिर्फ 1 हज़ार रूपए निकालने की छूट दी है। बता दें कि सिटी को-ऑपरेटिव बैंक की मुंबई में 10 शाखाएं हैं जिसमें करीब 91 हजार खाताधारक हैं।

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इस पाबंदी की खबर मिलते ही ग्राहकों ने गिरगांव ब्रांच के बाहर हंगामा किया। जिसके बाद बैंक के अधिकारियों ने उन्हें शांत कराने के लिए एक और झटका देते हुए बताया कि रिजर्व बैंक की तरफ से ये पाबंदी दिसंबर 2017 में ही लगाई गई थी, लेकिन बैंक ने ये बात अपने ग्राहकों से छिपाई। ग्राहकों से लोन न वसूल कर पाने औऱ बैंक का एनपीए बढ़ जाने की वजह से रिजर्ब बैंक ने सिटी कोऑपरेटिव बैंक पर ये पाबंदी लगाई है।

मुंबई सिटी कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन शिवसेना सांसद आनंद अडसूल हैं। लोगों ने जब हंगामा किया तो शिवसेना सांसद का कहना है कि 75 साल से बैंक लोगों के भरोसे से आगे बढ़ा है, लोगों का पैसा नहीं डूबेगा। दो बैंक से विलय की बात हो रही है। बता दें कि लोगों का गुस्सा इस बात से है कि उन्हें पहले बताया क्यों नहीं गया ताकि वो अपने पैसे निकाल लेते।

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वहीँ राज्यों में हो रही कैश की किल्लत को देखते हुए नासिक में प्रेस वर्कर्स फेडरेशन के अध्यक्ष जगदीश गोडशे ने बड़ा दावा किया है। गोडशे के मुताबिक नासिक की करेंसी प्रेस में स्याही की कमी के चलते 200 और 500 के नये नोटों की छपाई नहीं हो पा रही है। ये राष्ट्रीय स्तर में नोटों की कमी की एक बड़ी वजह है। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि नोटों की छपाई कब से बंद है।

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