बुडापेस्ट कन्वेंशन साइबर सुरक्षा कानून की नींव : ब्रिटिश मंत्री

बुडापेस्ट संधिनई दिल्ली| साइबर स्पेस से संबंधित अपराधों को लेकर दुनियाभर में चल रही बातचीत के बीच एक ब्रिटिश मंत्री का मानना है कि बुडापेस्ट संधि साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर वैश्विक कानून की नींव हो सकती है।

ब्रिटेन के कॉमनवेल्थ व संयुक्त राष्ट्र मामलों के मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने एक साक्षात्कार में कहा, “अगर आप हाल के इतिहास को देखेंगे तो यूरोपीय परिषद के भीतर एक समझौता हुआ है जिसे बुडापेस्ट संधि कहते हैं। इसमें कुछ समझौते व प्रतिज्ञाएं शामिल हैं कि कैसे साइबर स्पेस का प्रबंध किया जा सकता है। “

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साइबर स्पेस पर संपन्न हुए पांचवीं वैश्विक सम्मेलन में शामिल होने भारत आए तारिक अहमद ने कहा कि साइबर सुरक्षा के मसलों को लेकर बातचीत में इस संधि पर खास ध्यान दिया गया।

साइबर अपराध को लेकर यूरोपीय परिषद की संधि, जिसे बुडापेस्ट संधिपत्र के नाम से जाना जाता है, साइबर अपराध के लिए व्यापक राष्ट्रीय कानून बनाने की दिशा में किसी भी देश के लिए एक मागदर्शिका हो सकती है। साथ ही, इस संधि में शामिल सदस्य देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की रूपरेखा भी हो सकती है। यह कंप्यूटर सिस्टम के जरिये अनजान लोगों से डर व नश्लवाद पर प्रोटोकाल का भी पूरक हो सकता है।

यूरोपीय परिषद के मंत्रियों की समिति की ओरे से 2001 में 109वें सत्र के में इस संधि को स्वीकार किया गया और 2004 से यह प्रभावी है।

एकल वैश्विक संधि या डिजिटल जिनेवा कन्वेंशन के संबंध में बातचीत को लेकर अहमद का कहना था कि उनका और उनकी सरकार का इस मसले पर ‘बहुत स्पष्ट’ मत है कि नियंत्रण संबंधी कुछ नियम पहले से ही मौजूद है।

उन्होंने कहा, “हमारी नजर भविष्य के निर्माण की ओर है इसलिए हमें समान बातों व सिद्धांतों को बुडापेस्ट संधि के जरिये अमल में लाना चाहिए और यह देखना चाहिए इसका इस्तेमाल बड़े समुदाय में कैसे हो सकता है। ”

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अहमद ने बताया कि वह बुडापेस्ट से प्रदत्त समान सिद्धांतों को लेकर व्यापक सहयोग बनाने की दिशा में कार्य कर हैं।

यह पूछे जाने पर कि साइबर सुरक्षा के मामले में वैश्विक चुनौतियां क्या-क्या हैं, अहमद ने कहा कि यहां चुनौतियां ही नहीं अवसर भी हैं।

भारतीय समाज के विभिन्न वर्गो के संदर्भ में उन्होंने कहा कि किसान से लेकर छात्र और अकादमिक क्षेत्र के लोगों से लेकर व्यवसायी तक सभी विविध एप्लीकेशंस के जरिये इंटरनेट का इस्तेमाल करने लगे हैं।

वहीं, दूसरी ओर, इसमें कोई संदेह नहीं कि हमें साइबर सुरक्षा की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है।

अहमद ने बताया कि जीसीसीएस में विभिन्न देशों के मंत्रियों ने एक परिकल्पना प्रस्तुत की है कि “यह सामूहिक मसला है जिसको लेकर हमें एकजुट होने की जरूरत है। ”

उनका कहना था कि घर बनाने के लिए जिस तरह नींव की जरूरत होती है उसी तरह बुडापेस्ट संधि साइबर सुरक्षा कानून की नींव साबित हो सकती है।

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